CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Friday, February 20, 2009

सरकार की मदद से ही देश में आते हैं आतंकी

१७/१२/२००९

ट्रकों पर लाद कर बेखौफ लाये जाते हैं हथियार और गोला बारूद

हरिराम पाण्डेय

केन्‍द्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार की मदद से रोजाना सैकड़ों आतंकी और घुसपैठिये देश में प्रवेश कर रहे हैं। मुम्‍बई हमले के बाद भारत में आतंकवादी हरकतों पर लगाम लगाने के लिये बढ़ - चढ़ कर बोलने वाली केन्‍द्र सरकार ने आतंकियों के लिये असलहों के साथ बंगलादेश होकर भारत में प्रवेश करने के लिये दरवाजा खोल रखा है। सुनकर विश्वास नहीं होगा कि दुनिया में बंगलादेश से सटी पश्चिम बंगाल की सीमाएं ही एकमात्र ऐसी जगह हैं जहां सीमा चौकियों पर जांच नाम की कोई कार्रवाई नहीं होती। देश में अन्य सीमाओं पर जांच चौकियों पर सीमा सुरक्षा बल, केन्‍द्रीय एजेंसियां, कस्टम्‍स और आव्रजन विभाग के अफसर तैनात रहते हैं और वहां से हर आने जाने वालों की बारीकी से जांच करते हैं, जबकि पश्चिम बंगाल और बंगलादेश की सीमाओं पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। यहां की सबसे बड़ी सड़क सीमा चौकी है दक्षिण २४ परगना में जैसोर रोड पर बेनापोल चौकी। इसके उस पार बंगलादेश का पेट्रापोल कस्बा है। इस सीमा चौकी से रोजाना औसतन २००० पासपोर्ट - विजा धारक आते - जाते हैं और औसतन ६०० ट्रक निर्यात का सामान लेकर जाते हैं। इन्हें सुविधाएं पहुंचाने के नाम पर लगभग ७०० क्‍लीयरिंग एजेंट हैं और इतने ही दलाल भी। ये क्‍लीयरिंग एजेंट किसी सरकारी संस्था द्वारा नियुक्त नहीं हैं। यह एक राजनीतिक दल से सम्‍बद्ध संगठन है। इस संगठन का एक वेलफेयर एसोसिएशन है जो अपने सदस्यों को सूचीबद्ध करता है। जानकर हैरान हो जायेंगे कि इस एसोसियेशन द्वारा जारी आईडेन्टिटी कार्ड ही इस पार उस पार जाने आने के लिये इस्तेमाल होता है। सीमा पर विसा लगे पासपोर्ट का दर्जा हासिल करने वाले इस कार्ड को जारी करने वाले लोगों या स्वयं उस संगठन को कोई कानूनी या सांविधानिक दर्जा हासिल नहीं है ना ही इस प्रकार का कोई अंतरराष्ट्रीय समझौता है। किंतु इस कार्ड से टेलीफोन कम्‍पनियों के सिम कार्ड भी जारी होते हैं। यही नहीं उस पार जाने वाले ट्रकों पर लदे सामान या उधर से आनेवाले ट्रकों की जांच की सिरफ खानापूरी होती है। इसकी जांच की जिम्‍मेदारी कस्टम्‍स विभाग पर है और यदि उन्होंने किसी आपाक्तिजनक वस्तु के जाने या आने पर रोक लगा दी तो उनकी खैर नहीं। ये एजेंट और उनके दलाल बॉर्डर जाम कर देंगे और दिल्ली को बताया जायेगा कि निर्यात रोका जा रहा है। इस कथित निर्यात को लेकर जाने वाले ट्रकों के ड्राइवरों और क्‍लीनरों का कहीं कोई रेकार्ड नहीं होता सिवा इसके कि सीमा पर बनी पश्चिम बंगाल पुलिस की एक चौकी में सादे कागज पर ड्राइवरों के लाइसेंस नम्‍बर लिख लिये जाते हैं। क्‍लीनरों का कोई हिसाब किताब नहीं। वे ट्रक लौट कर आये या नहीं इसका भी कोई लेखा जोखा नहीं होता। अब उन ट्रकों पर सैय्यद सलाहुद्दीन या बीमार ओसामा बिन लादेन या अजहर मसूद ही आ जाये तो कौन जानता है। सूत्रों के मुताबिक इस रास्ते बड़े पैमाने पर हथियार और आतंकी आते जाते हैं। अभी हाल में एक बहुत बड़ा आतंकी इसी रास्ते कोलकाता आया और अपने गुर्दे का उपचार करा लौट गया। सूत्रों का दावा है कि सिरफ इस बॉर्डर से निर्यात के नाम पर जाने वाले ६००-७०० ट्रकों के अलावा ट्रक तथा सुमो, कॉलिस और अन्य वाहन रोजाना तस्करी का सामान और पोटेशियम तथा अमोनियम नाइटे्रटेट और आर डी एक्‍स जैसे विस्फोटक, एके ४७ रायफलों की गोलियां और रायफल, टाइमर लेकर आसानी से आते हैं। सूत्रों के अनुसार सीमा के उस पार जैसोर तक दर्जनों आतंकी ट्रनिंग कैम्‍प हैं और नाजायज हथियारों के गोदाम। सूत्रों के मुताबिक पिछले ६ महीनों में उस पार से लगभग २०० किलोग्राम पोटास. १० से १२ हजार किलोग्राम अमोनियमम नाईट्रेट, १ हजार किलोग्राम सल्फर, ४००किलोग्राम आर डी एक्‍स और कलाशिनिकोव रायफलों की ५० हजार से ज्यादा गोलियां २ हजार जिलेटिन छड़ें, सैकड़ों टाइमर, सस्ते मोबाइल फोन भारत में केवल इस रास्ते से ट्रकों पर लद कर आये हैं। भारत में कार्रवाई के बाद आतंकी अपने साजो सामान के साथ भाग भी निकलते हैं। यह तो केवल एक चौकी की बात है। नदी और समुद्री सीमा पर तो और भी बुरी स्थिति है। देश के अन्य भागों में अपनी समुद्री सीमा तक आने जाने वाले मछुआरों को जो परिचय पत्र मिलते हैं उन्हें कस्टम्‍स और सीमा सुरक्षा बल द्वारा जारी किया जाता है पर पश्चिम बंगाल की समुद्री सीमा में मछुआरों को परिचय पत्र एक राजनीतिक दल से सम्‍बद्ध मत्स्य जीवी संघ जारी करता है। उन मछुआरों की नौकाओं पर सीमा के उस पार से क्‍या लद कर आता है इसका भगवान ही मालिक है। इस स्थिति पर कई बार केंद्रीय एजेंसियों ने सरकार का ध्यान दिलाया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसका उदाहरण मुम्‍बई पर हुआ हमला है।

0 comments: