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Thursday, April 1, 2010

एक एस एम एस और दहल उठेगा पूरा भारत

हरिराम पाण्डेय
आई एस आई और लश्कर की खतरनाक साजिश, नया संगठन बनाया गया कोलकाता : जिहादियों ने इस बार हमले की ऐसी रणनीति बनायी है कि अगर वह सफल हो गयी तो सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को काफी करारा झटका लगेगा। गोपनीय सूत्रों के अनुसार, वे कुछ खास लोगों के मोबाइल का सिम बना रहे हैं, जिसका उपयोग पेंटा एथिनो ट्राई नाईट्रोल(पी ई टी एम) - डर्टी बम में एक्टिवेटर में लगे एक अन्य सिम कार्ड को एक्टिवेट करने के लिये किया जायेगा। उन्होंने अपनी योजना को कार्यरूप देने के लिये मई के मध्य का समय चुना है, क्योंकि जितनी तेज हवायें होंगी बम का प्रभाव उतना ज्यादा होगा। उन्होंने एक साथ दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, वाराणसी, चेन्नई, बेंगलूर, हैदराबाद, अहमदाबाद और जयपुर में विस्फोट की योजना बनायी है। सभी स्थानों पर लगाये गये सभी बमों में एक ही नम्बर के क्लोन सिम होंगे और उन्हें एक साथ एस एम एस भेज कर विस्फोट करा दिया जायेगा।
जिहादी कोलकाता के कुछ बड़े अफसरों, नेताओं और व्यापारियों के इंटरनेशनल मोबाइल सब्सक्राइबर आइडेंटिफायर (आई एम एस आई) नम्बर तथा ऑथेंटिकेशन की (के आई) नम्बर पता करने में जुटे हैं। इन नम्बरों को ई मेल के जरिये भेज दिया जा रहा है। यह जिम्मेदारी युवकों और छात्रों को जोड़ कर बनाये गये नये संगठन 'वाहदात- ए- इस्लाम को सौंपी गयी है। यह संगठन प्रतिबंधित संगठन इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के अधिकांश सदस्यों को लेकर बनाया गया है। चूंकि ये लोग यहां के स्थानीय हैं और कहीं भी आने -जाने में पाबंदी नहीं है। ये लोग अलग -अलग वाहनों में सुबह 10 बजे से शाम के पांच बजे तक घूमते रहते हैं। उनकी गाडिय़ों में एक खास किस्म का एंटीना लगा होता है, जो 10 मीटर तक की दूरी पर मोबाइल के बातचीत के लिये ऑन होते ही उसके सिग्नल को रिसीव करता है और उस एंटीना से जुड़े लैपटॉप कम्प्यूटर में उसके नम्बर और कई विवरण आ जाते हैं। उस लैपटॉप में लगे सॉफ्टवेयर की मदद से वे युवक उस फोन का मोबाइल सब्सक्राइबर आइडेंटिफायर (आई एम एस आई) नम्बर तथा ऑथेंटिकेशन की (के आई) नम्बर जान लेते हैं और उसे तत्काल ई मेल कर देते हैं। ई मेल को पाने वाला उन नम्बरों की मदद से उसी मोबाइल फोन का इच्छित संख्या में नया सिम तैयार कर लेता है। इसे क्लोन कहते हैं। इस सिम की खूबी होती है कि इससे कॉल नहीं किया जा सकता है पर एस एम एस भेजा जा सकता है और रिसीव किया जा सकता है। वह एस एम एस मूल सिम वाले फोन के खाते में दर्ज होगा। यानी, जब विवरण खोजा जायेगा तो पता चलेगा कि जिसके नाम से मोबाइल है, उसी ने यह एस एम एस किया है अथवा प्राप्त किया है। अब डर्टी बम में इसी तरह के एक सिम वाला एक्टीवेटर लगा रहता है। जैसे ही वह एस एम एस प्राप्त करता है एक्टिवेट हो जाता है। एक्टिवेट होते ही बम फट पड़ता है।
क्या है डर्टी बम : यह एक रेडियो धर्मी हथियार है और इससे होने वाले विकिरण से भारी क्षति होती है। विशेषज्ञों के अनुसार 2 औंस सीजियम 137 से बना एक बम पूरे बड़ाबाजार जैसे इलाके को रिहाइश के अयोग्य बना देगा। इसे दुबारा रहने लायक बनाने में कई बरस लग जायेंगे और अरबों रुपये खर्च होंगे। 2 औंस सीजियम- 137 में लगभग 3500 क्यूरी रेडियोधर्मिता पैदा होती है, जबकि कुछ दर्जन क्यूरी ही भारी विनाश के लिये काफी है। सीजियम- 137 या उस स्तर के रेडियोधर्मी पदार्थ एक्स रे मशीनों और डाक्टरी के काम आने वाली अन्य रेडियोलॉजिकल मशीनों में पाये जाते हैं। विस्फोट जितना जोरदार होगा और उस समय हवा जितनी तेज होगी इसकी रेडियोधर्मिता का विस्तार उतना ज्यादा होगा। इस विस्फोट से मृत्युदर बहुत कम होती है। विस्फोट की चपेट में आकर जो मर गये वही संख्या अधिक होगी। इसीलिये इसमें पेंटा एथिनो ट्राई नाईट्रोल (पी ई टी एम) जैसे खतरनाक विस्फोटक का उपयोग किया जाता है। इन्होंने मई का महीना इसलिये चुना है कि उस समय हवा में नमी नाममात्र होती है और हवाएं औसतन 16-18 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं। ऐसी स्थिति में इसका प्रभाव भयानक होगा।
सूत्रों के अनुसार इनकी योजना हर शहर में सात या आठ विस्फोट कराने की है और इसके लिये कम से कम दो सौ लोगों की जरूरत है। सिमी को छोड़ कर एक साथ इतने शहरों में इस संख्या में लोग कोई मुहैय्या नहीं करा सकता है। इसी उद्देश्य से पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आई एस आई तथा लश्कर -ए- तय्यबा के सहयोग से नया संगठन बनाया गया है।

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