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Sunday, August 8, 2010

यह साजिश क्यों?


दो दिन पहले आचार्य धर्मेन्द्र जी महाराज कोलकाता में थे। एक मुलाकात के दौरान उन्होंने यह बताने का प्रयास किया कि हमारे देश के हिंदू अपने धार्मिक संस्कारों से कितनी दूर जा चुके हैं। उन्होंने विचारधारा से लेकर राम जन्मभूमि मंदिर तक कई विषयों पर चर्चा की और जागरण की आवश्यकता पर बल दिया। इसी विचार- विमर्श के दौरान उन्होंने एक क्षीण सा इशारा किया कि सरकार भी चाहे वह मौजूदा हो या पूर्ववर्ती सबने निहित स्वार्थ के कारण हिंदुओं के आत्मबल को कम करने की कई साजिशें की हैं। आरंभ में लगा कि जैसे आम धर्माचार्य कहते हैं वैसे श्री धर्मेन्द्र जी का भी कथन है, लेकिन एक बात दिमाग में घूमती रही कि हिंदुओं के आत्मबल को कम करने की साजिश के मायने क्या हो सकते हैं?

दोपहर बाद दफ्तर में खबर आयी कि अमरीका ने हरकत- उल-जिहाद अल इस्लामी (हूजी) और इलियास कश्मीरी को आतंकी संगठन घोषित कर पाबंदी लगा दी है। अचानक स्मृतियों के तार खुलने लगे। कुछ दिन पहले हमारी जांच एजेंसियों ने आरोप लगाया था कि चंद हिंदू संगठन मुस्लिमों के खिलाफ आतंकी कार्रवाई में लगे हैं। इसमें पहली घटना है समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट और दूसरी घटना है हैदराबाद की मक्का मस्जिद में विस्फोट। इस घटना की जांच करने वाली एजेंसी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन आई ए) के मुताबिक समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट कराने वाले ही अजमेर शरीफ, मालेगांव की मस्जिद और हैदराबाद की मक्का मस्जिद में विस्फोट से जुड़े हैं। इस सिलसिले में अभिनव भारत संगठन के तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारियां सन् 2008 में हुई थीं।

दिलचस्प बात है कि 1 जुलाई 2009 को अमरीकी सरकार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी, जिसमें 4 लोगों के विवरण थे। जिनमें चारों वहां गिरफ्तार थे और उन्होंने अपने जुर्म कबूले थे। उनमें से एक आरिफ कासमी ने स्वीकार किया था कि समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट के लिये और मुम्बई लोकल में ब्लास्ट के लिये उसने लश्कर के साथ मिलकर काम किया था। उसने यह भी माना था कि वह भारत में ऐसी गतिविधियों के लिये धन भी एकत्र करता है। वह इसमें सन् 2001 से लगा है।
दूसरी तरफ भारत सरकार ने कहा है कि अजमेर शरीफ ब्लास्ट में शामिल होने के आरोप में जिस आदमी को पकड़ा गया है वह मक्का मस्जिद के विस्फोट से जुड़ा है। अमरीकी सरकार ने 6 अगस्त 2010 को एक अधिसूचना जारी कर हूजी और इलियास कश्मीरी को आतंकी संगठन घोषित किया। इस समाचार पर विख्यात अमरीकी पत्रकार पीटर फाउलर ने लिखा है कि मार्च 2006में कराची में अमरीकी वाणिज्य दूतावास पर हमला और मई 2007 में हैदराबाद की मक्का मस्जिद पर हमले के लिये हूजी ही जिम्मेदार है।

निष्कर्ष यह कि अमरीकी जांचकर्ताओं के मुताबिक समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में लश्कर की भूमिका है और मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में हूजी का हाथ है तो हमारे जांचकर्ता कैसे कहते हैं कि इनमें हिंदू संगठनों की भूमिका है।
अब एक ही घटना के लिये दो- दो संगठन जिम्मेदार कैसे हो सकते हैं ?

कहीं हिंदू संगठनों पर कीचड़ उछाल कर हिंदुओं का मनोबल घटाने की सोची समझी गयी योजना तो नहीं है। अब धीरे - धीरे आचार्य के इशारों के अर्थ खुलने लगे थे।
अब सवाल है कि देश की हिंदू जनता क्यों नहीं ऐसे स्वार्थी तत्वों को नकार दे रही है।

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