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Monday, August 30, 2010

कहीं यह तिरंगे को बदलने की साजिश तो नहीं


दो दिन पहले गृहमंत्री पी चिदंबरम का भगवा आतंकवाद का शिगूफा और उसकी पृष्ठभूमि में कश्मीर में चलते पत्थर, अमरनाथ के तीर्थयात्रियों पर हमले और उसके बाद बाबरी मस्जिद और रामजन्म भूमि के विवाद के होने वाले अदालती फैसले के कारण देश में फसाद की आशंका के चलते सभी सरकारों को केंद्र का नोटिस भेजा गया। केंद्र को डर है कोई हनुमत जागरण ब्रिगेड के लोग उत्पात कर सकते हैं। यानी कुल मिलाकर हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं और उन्हें आतंकवादी कह कर उन्हें एक जालिम कौम बताने की साजिश चल रही है।

क्या कोई सरकार से पूछ सकता है कि यदि भगवा रंग आतंकवाद प्रतीक है, तो तिरंगे में लगा केसरिया रंग किसका प्रतीक है?
कैसी विडम्बना है कि भारत में जो भी आतंकी हमले हुये हैं, उनमें लगभग सभी भारतीय स्रोतों से करवाये गये हैं। उनके लिये आईएसआई या अन्य की ओर इशारा कर देशवासियों का ध्यान हटाने की कोशिश है। यह संकीर्ण सांप्रदायिकता और अराष्ट्रीय राजनीति का अतिवादी घिनौना स्वरूप है।
ये राजनेता अपने स्वार्थों के लिए देशहित और राष्ट्रीय सभ्यता से खिलवाड़ करने में नहीं चूकते। भगवा रंग भारत की चेतना का रंग है। भारतीय संविधान में भारतीय ध्वज के रंगों की व्याख्या करते हुये इसे त्याग, तपस्या, बलिदान और वीरता का रंग बताया गया है।
क्या हमारी सरकार तिरंगे से केसरिया रंग हटाने की कहीं साजिश तो नहीं कर रही है ?
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार 65 हजार से अधिक लोग उस आतंकवाद के शिकार हो चुके हैं, जो देश में जिहाद लाना चाहते हैं और यकीनन वे हिंदू नहीं हैं। इस देश में ही यह होता है कि तिरंगे के लिए जान देने वालों को कश्मीर से उजाड़ा जाता है।

एनसीईआरटी की पुस्तकों में जब गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत का मजाक उड़ाने तथा औरंगजेब को निर्दोष साबित करने वाले पाठों से विकृतियां हटायी जाने लगीं तो वामपंथियों और कांग्रेसियों ने उसे भगवाकरण का नाम दे दिया, विरोध किया। इस देश के खिलाफ विदेशी हमले भारत के मूल स्वरूप, चेतना और यहां के नागरिकों की सभ्यतामूलक संस्कारों को ध्वस्त करने के लिए हुए।

भारत की जमीन पर जब लहू से लकीर खींच दी गयी और उसे देश के बंटवारे का नाम दे दिया गया तो लगा चलो अब तो चैन से रहेंगे। अब शांति से अपनी जीवन परंपरा और धर्म का अनुगमन कर सकेंगे। लेकिन हिंदू विरोध जारी है। दुःख इस बात का है कि जिन्हें हम वोट देकर अपना नेता चुनते हैं, वही हमारी आंख पर पट्टियां बांध कर हमें डराने लगते हैं। चाहे वह कट्टरपंथ हो या आतंकवाद या विदेशी हाथ अथवा हनुमत ब्रिगेड या रामनामी ओढ़े।
सरकार क्यों नहीं समझती कि जिस दिन यह देश जागेगा उस दिन उसकी क्या हालत होगी ?
भारत दुनिया का सबसे प्रगतिशील, लोकतांत्रिक तथा सर्वपंथ समभाव का आदर्श देश है। साथ ही हिंदू बहुल हैं। ऐसे में न जाने क्यों उन्हीं के हितों और संवेदना से सबसे ज्यादा खिलवाड़ हो रहा है ?

1 comments:

ओशो रजनीश said...

सही कहा आपने ये राजनेता फायदे के लिए अपने बाप को भी धोखा दे सकते है ........ ..

कुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com