CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Monday, March 28, 2011

मोहाली में आतंकियों के छापामार हमले से बचाव जरूरी




हरिराम पाण्डेय
मोहाली में भारत- पाकिस्तान क्रिकेट विश्व कप मैच का सेमी फाइनल देखने के लिये भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आमंत्रण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने स्वीकार कर लिया है और वे मोहाली आ रहे हैं। मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के राष्टï्रपति आसिफ अली जरदारी को न्योता भेजा था पर उनके बारे में पाकिस्तान सरकार के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने कुछ नहीं कहा जबकि गिलानी के भारत जाने के बारे में मीडिया को उन्होंने जानकारी दी। जरदारी के बारे में कुछ नहीं कहे जाने का मतलब यह समझने में कोई हर्ज नहीं कि वे भारत नहीं आ रहे हैं। हालांकि जब न्यौता भेजा गया था उस समय यह बात कूटनीतिक हलकों में चल रही थी कि उसे अस्वीकार करना सही नहीं होगा, खास कर ऐसे मौके पर जब भारत - पाक में सम्बंध सामान्य बनाने की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि यह भी तय था कि जरदारी नहीं आयेंगे इसका कोई राजनीतिक या कूटनीतिक कारण नहीं है, बल्कि सुरक्षा का कारण इसके पीछे प्रमुख है। जरदारी इस समय पाकिस्तानी जेहादियों के लिये प्रथम श्रेणी के दुश्मन हैं। उनके करीबी समझे जाने वाले पाकिस्तान के पूर्व राज्यपाल सलमान तासीर को ईश निंदा कानून की आलोचना करने के कारण मौत के घाट उतार दिया गया। राष्टï्रपति जरदारी भी निशाने पर हैं। खासकर अमरीकी वाणिज्य दूत रेमण्ड डेविस की रिहाई में उनकी खुली भूमिका से आतंकी संगठन काफी नाराज हैं। डेविस को मारने पर आमादा थे आतंकी। जरदारी पाकिस्तानी पंजाब में भी यात्रा से बचते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि सलमान तासीर की हत्या के बाद से जरदारी के अंगरक्षकों में से पंजाबियों को हटा दिया गया है। वैसे भी गिलानी और जरदारी दोनों को आमंत्रित करना हमारे प्रधानमंत्री जी के लिये उचित नहीं था। भारत के खुफिया या सुरक्षा एजेंसियों के अफसरों को जरदारी पर खतरे के बारे में जानकारी जरूर होगी। ऐसे में उनका मैच देखने आना काफी जोखिम का काम था। अब केवल गिलानी आ रहे हैं तो मैच में उनकी सुरक्षा का जोखिम उठाया जा सकता है। खबर है कि मोहाली मैच में आतंकी उत्पात मचा सकते हैं। अब तक कई बार कई अवसरों को लेकर हमलों की आशंका जाहिर की जा चुकी है, पर कठोर तथा अचूक सुरक्षा के कारण अभी तक कोई हमला नहीं हो सका। मोहाली में छापामार शैली (कमांडों स्टाइल) के हमले आसानी से हो सकते हैं। अब हमारे देश की सुरक्षा एजेंसियों पर निर्भर करता है कि वे कैसी सुरक्षा का इंतजाम करते हैं। मोहाली में सबसे जरूरी है कमांडों की तैनाती और मैदान तक किसी भी हथियारबंद आदमी की पहुंच को रोकना। सीमा के आरपार भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये जाने की जरूरत है। मोहाली पहुंचने वाली बसों, ट्रेनों और हवाई जहाजों पर भी नजरदारी जरूरी है। सबसे प्रभावशाली सुरक्षा बंदोबस्त है कि मोहाली आने वाले हर आदमी की निगरानी हो। गिलानी जब से आयें और जब तक भारत में ठहरें उनकी हिफाजत की जिम्मेदारी भारत की होनी चाहिये। हालांकि उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा की जिम्मेदारी वहां की वी आई पी सुरक्षा प्रणाली की है पर उन तक किसी के पहुंचने तथा उनके आवागमन की सुरक्षा भारत की जिम्मेदारी हो। भारत को चाहिये वह इसकी योजना सावधानी पूर्वक और दूरदर्शिता पूर्ण ढंग से बनाये। भारत और पाकिस्तान ने खुफियागिरी को और चुस्त कर दिया है। हमें अमरीकी मदद लेने से भी नहीं हिचकना चाहिये। जब तक गिलानी भारत में रहें सम्पूर्ण अफगानिस्तान- पाकिस्तान क्षेत्र पर निगरानी रहनी चाहिये।

0 comments: