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Monday, December 1, 2014

पुलिस 'स्मार्ट बने , पर कैसे


30.11.2014
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस को 'स्मार्टÓ बनने की सलाह दी है। रविवार को गुवाहाटी में सभी प्रांतों के पुलिस महानिदेशकों और अन्य केंद्रीय पुलिस एजेंसियों के प्रमुखों की एक बैठक को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस को सही अर्थों में 'स्मार्टÓ होना चाहिये। उन्होंने 'स्मार्ट यानी एस एम ए आर टीÓ की व्याख्या की और बताया कि एस से तात्पर्य है स्ट्रिक्ट कठोर लेकिन संवेदनशील, 'एमÓ से तात्पर्य मॉडर्न यानी आधुनिक एवं सचल, 'एÓ से तात्पर्य अलर्ट यानी सतर्क और जवाबदेह, 'आरÓ से तात्पर्य रिलायबल यानी विश्वसनीय एवं प्रतिक्रियावादी तथा 'टीÓ से तात्पर्य टैक्नो सेवी यानी प्रौद्योगिकी का जानकार और दक्ष है।Ó उन्होंने कहा कि पुलिस को अपने कर्मचारियों को बेहतर माहौल देने, अपनी छवि सुधारने और अच्छी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए इन मूल्यों को अपनाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने आजाद भारत में शहीद हुए 33000 पुलिसकर्मियों को सम्मान देने के लिए भी अनूठे तरीके बताए। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता के बाद अब तक देश के लिए शहीद हुए करीब 33000 पुलिस कर्मचारियों को सम्मान दिलाने के लिए जोर दिया। इसके लिए उन्होंने राज्यों के पुलिस अधिकारियों से कहा कि वो इन शहीद हुए पुलिस कर्मियों का ब्यौरा तैयार करें कि कौन-किस परिस्थिति में शहीद हुआ और देश के लिए उसका योगदान क्या है। उन्होंने कहा कि देश के लिए शहीद हुए सभी पुलिसकर्मियों का एक-एक फोटोग्राफ और उनके बलिदान से जुड़ी जानकारियां जुटाई जाएं। इन जानकारियों को एकत्र करके एक पुस्तक तैयार की जाए जिससे कि आने वाले नई पीढ़ी को जवानों की शहादत और शौर्य के बारे में जानकारी मिल सके। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि शहीदों पर बनने वाली किताब राष्ट्रीय भाषा के साथ क्षेत्रीय भाषा में भी होनी चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने इस आइडिया को कामयाब बनाने  के लिए सुझाव दिया कि पुलिस में भर्ती होने वाले जवानों को इस तैयार होने वाली किताब पर एक परीक्षा भी आयोजित की जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस किताब को पढ़ सकें। उन्होंने कहा कि एक कारगर खुफिया नेटवर्क वाले देश को सरकार चलाने के लिए किसी हथियार और गोला-बारूद की जरूरत नहीं है। मोदी ने कहा कि हथियारों पर बहुत ज्यादा निर्भर हुए बिना एक प्रभावी खुफिया नेटवर्क के माध्यम से देश चलाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'जिस देश में उच्च श्रेणी का खुफिया नेटवर्क हो, उसे किसी हथियार और गोलाबारूद की जरूरत नहीं होती। इसलिए बहुत ही उच्च श्रेणी का खुफिया नेटवर्क होना जरूरी है।Ó मोदी ने कहा कि देश में हालांकि बहुत सारी अच्छी चीजें हो रही हैं ऐसे में सकारात्मक खबरों का समुचित तरीके से प्रकाशन होना चाहिए ताकि लोगों को इसके बारे में पता चल सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि पुलिस कल्याण एक और मुद्दा है जिसे महत्व दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'एक अधिकारी भले ही बहुत अच्छा हो, पर यह महत्वपूर्ण है कि उसके परिवार को अच्छे से रखा जाए।Ó
यह सब आदर्श की बातें हैं और बातों से कुछ होता नहीं है। पुलिस में जो सुधार जरूरी है वह जबतक नहीं होगा तबतक कुछ नहीं हो सकता है।  भारत में समाज से बड़ा संकट अपनी व्यवस्था और पुलिस का है। दुनिया के सभ्य समाजों में पुलिस सभ्य है जबकि अपने यहां पुलिस बीमार है। ध्यान रहे समाज व्यवस्था से नहीं बनता मगर व्यवस्था से पुलिस बनती है। इसलिए पुलिस को सुधार नहीं सकना, उसे सभ्य नहीं बना सकना भारत राष्ट्र-राज्य की सबसे बड़ी असफलता है। तभी आंदोलन इस बात पर होना चाहिए कि पुलिस को सुधारो। जिस तरह की बातें मोदी जी ने की हैं वैसे आदर्श अक्सर सुनने में आते हैं नेताओं के मुंह से। लेकिन कभी किसी ने सुधार की पहल की है। कैसे करेंगे ये लोग सुधार जब खुद ही इसका गलत इस्तेमाल करते हैं। लंबे अरसे से पुलिस को बेहतर प्रशिक्षण देने, उन्हें संवेदनशील बनाने, शिक्षा का स्तर बढ़ाने, नैतिकता की शिक्षा देने, पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने जैसे अनगिनत सुझावों की चर्चा होती है, लेकिन इनमें से किसी पर अमल नहीं होता है। आम आदमी के लिए व्यवस्था की पहली कड़ी पुलिस है और यही सबसे कमजोर कड़ी है।  पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए इसमें सुधार सबसे पहली जरूरत है। लेकिन इस भाषण के बाद शायद ही कुछ हो पायेगा। अगर अगले लोकसभा चुनाव तक भी इसमें कुछ हो जाय तो शुक्र है।


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