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Saturday, May 28, 2016

दूसरी पारी : समेकित विकास की जिम्मेदारी

आज दीदी ने दूसरी बार दे के सर्वाधि बौद्िध्क राज्य बंगाल के शासन की ज्म्मिेदारी सम्भाल ली। देश के कई लोकप्रिय नेता तथा अभिनेताओं के हुजूम के बीच शस्य श्यामला धरती पुत्रों की तुमुल करतल ध्वनि के बीच जब दीदी ने पद और गोपनीयता की शपथ ली तो महानगर आह्लादित हो उठा। हरे और नीले रंग से सज सभास्थल खुद में ममता जी के कमिटमेंट की कहानियां कह रहा था। दीदी के कंधों पर राज्य के विकास की जिम्मेदारी जनता ने डाल दी। मनोविज्ञान और दर्शन में रंगों का इक खास महत्व होता है और वे खुद से ढेर सारी बातें कह देते हैं। बचपन में सब ने पढ़ा होगा राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंगों के अर्थ। दीदी के ध्वज में जो नील अौर हरा रंग है उसका भी अपना एक दर्शन है। हरा रंग जीवन की समरूपता, उसके प्रवाह, उत्साह और विकास का प्रतिबिम्ब होता है जबनि नील वर्ण विश्वास के गाम्भीर्य और स्थाईत्व का आश्वासन देता है। हमारा देश प्राच्य दर्शन को मानता है और प्राच्य दर्शन में  अतीत कभी व्यतीत नहीं होता क्योंकि वह वर्तमतान को अग्रसारित करता है, वर्तमान के रूप में सामने रहता है तथा भविष्य की नीव रखता है। यानी, अतीत , वर्तमान और भविष्य तीनों जुड़े हैं। कृष्ण ने गीता में कहा है कि गत और अनागत सब सामने होता है बेशक हम इसे देख नहीं पाते या बीता हुआ समय कह कर भूल जाते हैं। दीदी ने विगत पांच वर्षों में जो कुछ भी बंगाल के लिये किया वह अतीत के विकास की आश्वस्ति देता है। अब राज्य की जनता को ममता जी से यह खास उममीद है कि वे रोजगार के अवसर पैदा करें तथा आम जन खास कर महिलाओं को सुरक्षा। बाकी चीजें तो खुद ब खुद पूरी हो जायेगी। यही नहीं उन्हे कर्ज के बोझ से लदे इस राज्य की वित्तीय स्थिति सुधारनी हेगी। क्योंकि अब विरासत में खस्ताहाल राज्य की बात पुरानी हो चुकी है तथा पिछला पांच वर्ष उनका ही शासन  था। वैसे रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि राज्य पर ओवर ड्राफ्ट बढ़ा है इसका मतलब है कि काम काज की दिशा में तरक्की हो रही है। यहीं नहीं सरकारी आंकड़े बताते हैं कि प्रतिव्यक्ति आय में इजाफा हुआ है। इसका मतलब खुशहाली बढ़ रही है। तरक्की करता  हुआ अगर आम आदमी की खुशहाली की बात करता है तो इसका स्पष्ट अर्थ है कि उसमें गतिशीलता है और प्रशासनिक ऊर्जा से वह भरा हुआ है। राजनीति के शास्त्रीय सिद्धांतों में यह सकारात्मता है और इससे शासन की सक्षमता स्पष्ट होती है। कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कहा है कि ‘राज्य की प्रजा को रोटी मुहय्या कराना ही राजा का कर्तव्य नहीं है बल्कि कितनी प्रतिष्ठा के साथ रोटी हासिल हो रही इसे देखना राजा का कर्त्तव्य है। ’ राज्य का विकास हो रहा है और उसके साथ प्रति व्यक्ति आय की दर बढ़ रही है इसका मतलब है जनता को रोजगार के साथ आर्थिक प्रतिष्ठा भी प्राप्त हो रही है। अब नयी सरकार के लिये यह पहली चुनौती है कि वह राज्य पर लदे कर्ज के बोझ को खत्म करे या कम करे। इसके लिये सरकारी खर्चों में कटौती या कहें किफायतशारी पहली जरूरत है साथ ही कठोरता से कर वसूली भी आवश्यक है। क्योंकि सरकार के आय का और कोई साधन नहीं है।  इसके लिये दीदी को जनता ने अधिकार दे​ ही दिया है, साथ ही सब जानते हैं कि दीदी में अत्यंत मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति है। अगर वह तय कर लेंगी कि करना है तो कोई कारण नहीं है कि वे सफल नहीं होंगीं। भ्रष्टाचार तो राष्ट्रीय समस्या है और राज्य में से इसे मिटाना या यह उममीद करना कि भ्रष्टाचार बिल्कुल समाप्त हो जायेगा यह एक यूटोपिया है। हां, सरकार की कड़ाई से उसकी व्यापकता में कमी आ सकती है। इसके लिये शासन में पारदर्शिता जरूरी है। जो ममता जी आसानी से कर सकतीं हैं। वे इसके सभी प्रकारों और स्वरूपों से पूरी तरह वाकिफ हैं। क्योंकि शासकीय सितम अपने संघर्ष के दिनों में उन्होंने बहुत ज्यादा झेला है। राज्य में उद्योग का विकास जरूरी है इससे ना केवल रोजगार बढेंगे बल्कि  राज्य सरकार  की आय भी बढ़ेगी। इसके लिये दीर्घकालिक और लघुकालिक मास्टर प्लान बनाया जाना जरूरी है। मास्टर प्लान को कार्यावित करने से यहां का आर्थिक वातावरण सुधरेगा और दीदी के कमिटमेंट यह संकेत देते हैं कि वे ऐसा कर सकेंगी।

राज्य की जनता ने बड़ी उम्मीद के साथ इस बार उन्हें अपना मुकद्दर सौंपा हैं। जनता को हरे और नीले रंग के दर्शन संदेशों पर पूरा भरोसा है।

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