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Friday, July 1, 2016

इस्ताम्बुल से सबक

तुर्की में एक साल में यह आठवां हमला था। इन आठों हमलों मे 250 से ज्यादा लोग मारे गये हैं।राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तुर्की के इस्तांबुल हवाई अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले की एक स्वर में कड़ी निंदा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस्तांबुल में हुए आतंकी हमले की निन्दा की है और इसे अमानवीय तथा भयावह करार दिया है  मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘इस्तांबुल में हुआ हमला अमानवीय और भयावह है। मैं इसकी कड़ी निन्दा करता हूं। पीड़ित परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’’

अमरीकी फॉरेन डिपार्टमेंट ने अपने नागरिकों को तुर्की नहीं जाने को लेकर अलर्ट किया है। हमले के मद्देनजर मुंबई एयरपोर्ट पर हाई- अलर्ट घोषित कर दिया गया है।मंगलवार की रात इस्ताम्बुल के अतातुर्क हवाई अड्डे पर जो हमला हुआ उसमें अभी तक 45 लोगों के मार जाने की खबर है। यह हमला आत्मघाती बमबाजों ने किया था। हालांकि अभी तक किसी आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है पर सरकार को संदेह है कि यह आई एस की करतूत है। पिछली गर्मियों से ही तुर्की पर आतंकी हमलों के खतरे मंड़रा रहे थे। आई एस के अलावा वहां एक प्रतिबंधित सशस्त्र समूह कुर्दिस्तान वर्कर्स पाटीं के लड़ाकों से भी खतरा था। यह हमला रमजान के पाक महीने में हुआ इससे साफ जाहिर होता है कि आतंकियों को धर्म से कोई लेना देना नहीं है वे केवल धर्म के नाम का इस्तेमाल करते हैं। यही नहीं आई एस आतंकियों ने जैसा हमला किया है ओर जिन जगहों पर किया है इससे लगता है कि इस्ताम्बुल या लंदन या दिल्ली या कोलकाता  कोई भी स्थान महफूज नहीं है। अगले हफ्ते से ईद के त्योहार की खुशियां  शुरू हो जायेंगी। बड़ी संख्या में लोगों का आना जाना शुरू होगा और ऐसे में कहीं भ्पी हमले की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। तुर्की में आई एस के बमबाजों के निशाने पर दो तरह के लोग हैं एक तो तुर्की के निवासी और दूसरे बाहर से आये पर्यटक। यह हमला भी हवाई अड्डे के उसी टर्मिनल पर हुआ जहां विदेशी विमान आने वाले थे। तुर्की इन दिनों एक अजीब संकट में फंसा हुआ देश है। इसकी सभी सीमाएं किसी ना किसी समस्या से ग्रस्त है और पूरे देश के नागरिक आतंक के साये में जी रहे हैं। कुछ लोग विशेषत: अमरीकी विशेषज्ञ  तुर्की की सुरक्षा व्यवस्था खास कर  आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन एक ऐसा मुल्क जिसकी सभी सीमाएं फौजी जोर आजमाइश से आक्रांत हों वहं देश की भीतर के नागरिक संस्थान तो आसान निशाने बन ही जायेंगे। लेकिन , सिर्फ यही नहीं। तुर्की ने सीरिया के खिलाफ आतंकी गुटों को परोक्ष तौर मदद की थी जिसके कारण आतंकी संगठन सीरिया में अपनी पूरी फौज खड़ी करने में कामयाब हो गये। अब इसका दंड उसे भी भुगतना पड़ रहा है। इस हमले से या यों कहें तुर्की की इस दशा से भारत के पड़ोसी देश को भी सबक लेनी​ चाहिये और भारत के खिलाफ आतंकियों को मदद देने से गुरेज करना चाहिये। हालांकि तुर्की ने पश्चिमी देशों के दबाव में आकर आतंकी संगठनों पर दबाव बनाना शुरू किया है पर काफी देर हो चुकी है और आइ एस की ताकत बहुत बढ़ चुकी है। हालांकि उसकी ताकत अमरीकी हमलों के कारण घट कर आधी रह गयी है, साथ ही उसकी दौलत भी घट रही है  और यही कारण है कि वे सॉफ्ट टार्गेट पर हमले कर रहे हैं। इसराइल से सुधरते संबंध और रूस से सम्बंध सुधारने की तुर्की की कोशिशों से भु आई एस वाले बेहद नाराज हैं। उधर लगातार इस्लामिक स्टेट या आई एस पर हमले कर रहा है और तुर्की उसे स्थानिक सुविधाएं एवे खुफिया सूचनाएं मुहय्या करा रहा है , यह भी हमले का एक कारण माना जा रहा है। इस हमले से एक तरफ जहां आतंकवादियों को प्रोत्साहन मिलेगा वहीं बाकी दुनिया को एक सबक भी आतंकियों का धर्म नहीं होता और धर्म के नाम पर नाहक खून बहाने का विरोध होना चाहिये।

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