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Friday, July 8, 2016

कोलकाता में आई एस की यूनिट के संकेत

कोलकाता में आई एस की यूनिट के संकेत

परिंदों से तस्करी करवा कर एकत्र हो रहा है धन

15 अगस्त के पहले देश के कई अफसरों और नेताओ पर हमले की तैयारी

कोलकाता : ढाका के हमले में बहा लहू अभी सूखा भी नहीं कि खबर मिली है कि कोलकाता के अत्यंत घने इलाके में आई एस ने अपनी इकाई स्थापित की है। इस इकाई का काम देश भर में फैले अपने लोगों को लाजिस्टिक सपोर्ट देना है।

बंगलादेश में चरमपंथी गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था नेशनल सिक्युरिटी इंटेलिजेंस (एन एस आई ) के एक बड़े अफसर ने ‘सन्मार्ग’ को बुधवार को बताया कि ड्रग्स की तस्करी के माध्यम से उगाह गये धन से भारत में भारी उपद्रव कराने की योजना बनायी गयी है। कोलकाता  में आई एस की मौजूदगी पर विगत एक माह से से जुटे ‘सन्मार्ग’ ने यहां आई एस की यूनिट का पता लगाया। हालांकि रॉ के सूत्रों को भी यह जानकारी दी गयी पर उनकी तरफ से कितनी कार्रवाई हुई यह ज्ञात नहीं हो सका है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक आई एस की यूनिट कोलकाता में लेनिन सरणी में सड़क के दक्षिणी छोर पर एक छापाखाने से आगे लगभग दस-बारह मकान छोड़ कर है। इस यूनिट की जिम्मेदारी है बड़े पोशिदा ढंग से नौजवानों को भारत में विभिन्न स्थानों पर उपद्रव के लिये तैयार करना, उनके लिये हिंदू नामों से कागजात तैयार करवाना और ‘एक्शन’ के लिये धन का संग्रह करना। उस पार से मिल रही खबरों के मुताबिक भारत में कई शहरों में एक साथ हमले की योजना है। ये हमले 15 अगस्त के पहले हो सकते हैं। इसबार योजना बड़े अफसरों और नेताओं को शिकार बनाने की है।  इसके लिये जाली नोटों, गोल्ड और ड्रग्स के माध्यम से धन एकत्र किया जा रहा है। बड़ा बाजार का सत्यनारायण पार्क और न्यूमार्केट का इलाका इसका केंद्र है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक है ड्रग्स का कारोबार।

ड्रग्स के कारोबार का अर्थशास्त्र

सूत्रों के अनुसार कोलकाता और आस पास के इलाके में लगभग साढ़े तीन – चार  किलोग्राम हेरोइन और ब्राउन शूगर की रोजाना खपत है। यानी, लगभग सौ किलोग्राम हर माह। कोलकाता में हेरोइन की कीमत 4 हजार रुपये प्रतिग्राम है और विक्रेता इसे लगभग 3 हजार रुपये प्रतिग्राम खरीदते  हैं। अगर ये आंकड़े सही हैं तो  एक करोड़ 40 लाख रुपये रोज का धंधा और 35 लाख की सीधी बचत।  बड़ा बाजार के ड्रग लॉर्ड्स इन्हें घुटियारी शरीफ , रीपन लेन, वेल्सली सेकेंड लेन, चिंगड़ीघटा, नारकेल डांगा तपसिया इत्यादि स्थानों पर यह हेरोइन बेची जाती है। इनके खरीदार हें आई टी इंजीनियर, डॉक्टर्स, कालेज के छात्र- छात्राये और यहां तक कि टॉलिवुड के कुछ बड़े लोग।

अगर यही हेरोइन अमरीका, इरान, सीरिया पहुंच जाय तो इसकी कीमत कइै गुना बढ़ जाती है।

कहां से आती है यहां हेरोइन

सूत्रों के अनुसार यह हेरोइन वस्तुत: बांगलादेश के गोपालगंज से भारत में आती है। मीडिया में अबतक कहा जाता रहा है कि यह सब माल्दह या मुर्शिदाबाद से होता है पर ‘सन्मार्ग’ की तफ्तीश से कुछ और ही बात सामने आयी। इन क्षेत्रों में दरअसल अफीम की खेती है। यहां लगभग 1400 एकड़ अफीम उगायी जाती है। अफीम माल्दह के कालियागंज से बंगलादेश भेजा जाता है।

परिंदे करते हैं तस्करी

इस अफीम को भेजने का तरीका भी बड़ा अद्भुद है। अफीम के ढाई सौ ग्राम के पैकेट बनाये जाते हैं और उन्हें कबूतरों की पीठ पर बांध कर उड़ा दिया जाता है। ये कबूतर एकदम ट्रेंड होते हैं और वे निश्चित जगह पर जाकर उतरते हैं जहां से पहले से तैयार बैठे लोग उसे खोल लेते हैं। यहां के घरों में हेरोइन बनाने की छोटी छोटी फैक्ट्रियां लगी हैं। अफीम से हेरोइन तैयार होती है और उसे फिर कबूतरों के जरिये कालियागंज भेजा जाता है। यहां से हेरोइन कोलकाता आती है। सूत्रों के अनुसार यहां आयी कुल हेरोइन का 40 वां हिस्सा आई एस को देना पड़ता है क्योंकि गोपालगंज में यही लोग उसकी हिफाजत करते हैं। इसी धन से आई एस भारत में अपना नेटवर्क फैला रहा है। 

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