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Tuesday, September 20, 2016

उड़ी हमला भारत के लिए फंदा है

राष्ट्र संघ महासभा के सत्र के दौरान कश्मीर में नियंत्रण रेखा के समीप उड़ी सेक्टर में 12 वीं ब्रिगेड के मुख्यालय पर तड़के  पाकिस्तानी आतंकियों का हमला कश्मीर मामले को उलझाने की भयानक साजिश है। भयानक इसलिये भी कि जल्दी ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ राष्ट्र संघ महासभा में कश्मीर पर बोलने वाले हैं। इस औचक हमले में हमारे 17 जवान शहीद हो गये और 12 आहत हुये। इस हमले को अंजाम देने वाले 4 आतंकियों को फौज ने मार गिराया। शक है कि ये हमलावर रात में घुस कर छिप गये थे। जब रात की गश्त से फौजी लौटे और  अपने टेंट्स में आराम कर रहे थे उसी दौरान यह हमला हुआ। हमले से टेंट्स में आग लग गयी और उसी के कारण ज्यादा लोग मारे गये। डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस ले.जनरल रणवीर सिंह ने इसे जैश- ए-मोहम्मद की करतूत बताया , जबकि पाकिस्तान रेडियो ने इस तरह की किसी घटना से इंकार किया है। विगत 27 वर्षों में कश्मीर में यह सबसे बड़ी हानि है। उड़ी में 2014 के बाद यह दूसरा हमला है। कश्मीर में हाल में हुई अशांति , जिसमें 85 लोग मारे गये और पैलेट गन की गोलियों से सैकड़ों लोग अंदो हो गये थे, के बाद भारत –पाकिस्तान के सम्बंध बहुत बिगड़ चुके थे और इस घटना ने उसे और खराब कर दिया। प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने भाषण में बलोचिस्तान और गिलगिट-बाल्टिस्तान का मसला उठाकर इस आग में जैसे घी डाल दिया। यह इलाका चीन –पाकिस्तान के 46 अरब डालर के महत्वाकांक्षी इकोनॉमिक कॉरीडोर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस के कारण कश्मीर नये क्षेत्रीय चौपड़ का हिस्सा बन गया है। ऐसा लगता है कि यह हमला कश्मीर के चलू हालात को देखते हुये पाकिस्तान द्वारा अपने दावे को मजबूत करने का षडयंत्र है और जैसे ही दिल्ली इसका विरोध करेगी यह उसी वक्त एक व्यापक अंतराष्ट्रीय झगड़े में बदल जायेगा।  वैसे दिल्ली चुप नहीं रहेगी और कुछ नहीं तो कड़ाई से जवाब देने की बात जरूर कहेगी और दोधारी तलवार बन जायेगी। कश्मीर पर कोई भारतीय प्रयास एक अंतरराष्ट्रीय तू तू मैं मैं को हवा दे देगा और इसके बाद कश्मीर के मसले के अंतिम समाधान की मांग उठने लगेगी। एक तरह से इस हमले को पाकिस्तान ने इक फंदे की तरह इस्तेमाल किया है। कश्मीर में अबतक की अशांति और पैलेट गन की फायरिंग से पैदा लेने वाली अवस्था से दुनियकि नजर कश्मीर पर नही पड़ी थी पर राष्ट्र संघ महासभा के चालू सत्र के दौरान यह हमला एक तरह से दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की साजिश है। अब अगर भारत इसका जवाब देता है तो वह खुद ब खुद दुनिया की नजरों में आ जायेगा। पाकिस्तान यही तो चाहता है। इस ताजा स्थिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पशोपेश में डाल दिया है। अगर वे हमला करते हैं तो वह खुद ब खुद अंतराष्ट्रीय मसला बन जायेगा और चुप रहते हैं तो देश में उनके 56 इंच के सीने वाले जुमले की किरकिरी हो जायेगी। हालांकि प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी है कि इस हमले की साजिश करने वालों को छोड़ा नहीं जायेगा। भाजपा नेता राम माधव ने कहा कि ‘संयम बरतने का समय अब खत्म हो चुका है। एक् दांत के लिये पूरा जबड़ा उखाड़ लेगे। आतंकवाद कायरों का काम है।’ इस पूरे मामले के पास बहुत सीमित विकल्प हैं। गोपनीय कार्रवाई से जता का गुससा शांत नहीं होगा। अगर भारत हवाई हमला करता है तो इससे समस्या नहीं सुलझेगी। भारत के पास उतनी पारम्रिक क्षमता नहीं रही कि वह छोटे समय की लड़ाई में वर्चस्व प्राप्त कर ले उसे मामले के बढ़ जाने के डर से खास कर परमाणु हथियारों का पाकिस्तान प्रयोग ना शुरू कर दे और इसके बाद भारत में विदेशी निवेश की संभावनाओं को आाघात लगेगा,  इस आशंका के कारण पांव पीछे खींचने पड़ जायेंगे। क्योंकि इससे अर्थ व्यवस्था पर आघात पहुंचेगा। जैश ए मोहममद ओर लश्कर ए तैयबा कश्मीर को लेकर एकजुट होते दिख रहे हैं। अभी हाल में खत्म हुई ईद पर जैश ए मोहममद के प्रमुख हाफिज सईद ने ट्वीटर पर कश्मीरियों को संदेश दिया था कि ‘पहले दिन से ही जैश उनके साथ है।’ घाटी में जैश कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के तुरत बाद जैश ने अपनी ऑन लाइन पत्रिका का कश्मीर अंक ही निकाला था और उसमें कहा गया  था कि ‘कश्मीरी यह ना समझें कि वे अकेले हैं। उनके खून की हर बूंद का बदला लेंगे।’ अब ऐसी स्थिति में भारत के पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है।

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