CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Wednesday, October 26, 2016

बढ़ता जा रहा है जोखिम

बढ़ता जा रहा है जोखिम 

जब मोदी जी विपक्षी नेता थे तो पाकिस्तान पर कार्रवाई नहीं करने के लिये भारत सरकार को पानी पी पी कर कोसते थे। जब प्रदानमंत्री बने तो पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी शिविरों पर सीधा हमला कर दिया। इससे देश भर में उनको वाह वाही मिली। पूरे देश में देशभक्ति का ज्वार उमड़ पड़ा। लेकिन पड़ोस से मिल रही खबरों के आधार पर यह समझा जा सकता है कि परमाणु हथियार से लैस सनकी पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध कर सकता है। युद्ध का खतरा दिनोंदिन बड़ता जा रहा है। वहां सेना और आतंकी संगठनों में चोली दामन का साथ है। सोमवार की रात क्वेटा पुलिस कैम्प पर हमला नवाज शरीफ को एक चेतावनी थी। मोदी जी के पास रोज रोज विकल्प घटते जा रहे हैं और जंग का डर बढ़ता जा रहा है। डर इस बात का भी बढ़ रहा है कि अगर आतंकियों ने भारत के किसी क्षेत्र पर बड़ा हमला किया तो क्या कदम उठायेगी सरकार। यह तो तय है कि आज नहीं तो कल भारत में कही ना कहीं बड़ा आतंकी हमला होगा ही। यही नहीं अगर भारत कोई कार्रवचई करता है उस हमले के विरुद्दा तो पाकिस्तान का क्या रुख होगा? सी आई ए के पूर्व अधिकारी और दक्षिण एशियाई मामलों में कई अमरीकी राष्ट्रपतियों के पूर्व सलाहकार ब्रुस रीडल का कहना है कि ‘भारत बड़ी खतरनाक स्थिति में है। हालांकि अभी वह विन्दु नहीं पहुंचा है जहां से कदम वाप नहीं आ सकते।’ डर इस बात का है कि अगर भारत पर बड़ा आतंकी हमला होता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों की तरह चुप नहीं बैठ सकते हैं और ना उनकी तरह कूटनीतिक विकल्प का रास्ता अपना सकते हैं। इससे उनकी वर्तमान छवि को आघत लग सकता है। जब उड़ी के फौजी शिविर पर हमला हुआ था तो मोदी जी ने खुल्लम खुल्ला बदला लेने की बात कही थी। उन्होंने अधिकृत कश्मीर पर हमला करके बदला लिया भी और पूरी दुनिया को बताया भी। हालांकि इसके पहले भी सरकार ने इस तरह के हमले किये थे पर सबकुछ पोशीदा था। मोदी जी ननके हमले के अलावा पाकिस्तान को अलग थलग करने की कार्रवाई भी करनी आरंभ कर दी। उन्होंने गोवा में ब्रिक्स की बैठक ममें पाकिस्तान को ‘आतंकवाद का आधारपोत कहा।’ इस क्रिया से देश भर में पाकिस्तान के प्रति गुस्से की लहर दौड़ गयी। इस भावना को रोका भी नहीं जा सकता है। मायरा मैकडोनाल्ड ने अपनी पुस्तक ‘डिफीट इज एन ऑरफन : हाउ पाकिस्तान लॉस्ट द ग्रेट साउथ एशियन वार’ में लिखा है कि ‘भारत में फैले इस क्राधाग्नि को अखबारों और अन्य मीडिया ने हवा दे दी है। हालांकि पाकिस्तान भारत से बदला लेना नहीं चाहता था इसलिये वह इसे जानबूझ् कर नजरअंदाज कर रहा था या मामूली बता रहा था। परंतु भारत द्वारा इसे प्रचारित करने के बाद उस पर बदले के लिये भीतर दबाव पड़ने लगा। ’ सच यह है कि नवाज शरीफ नहीं चाहते हैं कि जंग हो पर पाक की सेना भारत के खिलाफ जहां आतंकियों को मद कर रही है वही सरकार के प्रति भी देश में घोर विरोध पैदा कर रही है। वह किसी भी तथ्य को शांति के चश्मे से नहीं देखना चाहती। पाकिस्तानी सेना ने शुरू से पाकिस्तान के रक्षक के रूप में अपनी छवि बना रखी है। वह अपनी छवि को कायम रखने के लिये हमला जरूर करेगी। यह नहीं कहा जा सकता कि यह हमला कहां होगा। यहां सबसे बड़ा सवाल है कि अगर भारत ने ऊपर जाने वाली सीढ़ियों पर पैर रख दिया तो इसे कैसे वापस लिया जा सकता है। हमलोगों की हालत वैसी नहीं है जैसी गाजा पटृटी में इसराइल की थी या हैती में अमरीका की थी बल्कि उसके विपरीत भारत की दुनिया की चौथी सबसे बड़ी फौज का मुकाबला दुनिया की 11वीं सबसे फौज से होगा। हालांकि कई विशेषज्ञों ने समस्या को निपटाने में मोदी की मेधा की प्रशंसा की है। खास कर उन्होंने अपनी बात कह कर अमरीका का समर्थन हासिल कर लिये इसके लिये वे प्रशंसा के पात्र हैं। मोदी जी की बॉडी लैंग्वेज देख कर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वे इस समय आत्मविश्वास से पूर्ण हैं और उस पार से किसी भी बदले की कारवाई के बाद उत्पन्न स्थिति को बेकाबू होने से संभाल सकते है। साथ ही पाकिस्तान में मोदी जी की यह छवि बनी है कि वे कुछ भी कर सकते हैं। उधर पाकिस्तान की सरकार जंग के पक्ष में नहीं है लेकिन वहां की शासन व्यवस्था लाकतां​त्रिक तौर पर चुनी गयी सरकार और सेना में विभाजित है तथा सेना का वर्चस्व ज्यादा है। शरीकि एक सीमा है किवह सेना को कहां तक दबा सकते हैं ज्यादा दबाव देने से डर है कि सेना उन्हें उखाड़ ना फेंके। इसके साथ ही सेना का आतंकियों को समर्थन है। इसलिये वे कई जगह लोकल हीरो बने हैं। इधर भारत में राष्ट्रवाद की लहर ऐसी उफन रही है कि मोदी अगर चाहें भी तो उसे रोक नहीं सकते। वे शेर पर सवार तो हो चुके हैं पर उससे उतर नहीं सकते। साथ ही उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं और मोदी तथा भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि देशभक्ति का यह ज्वार कायम रहे। इससे लोगों के दिमाग से आर्थिक विकास की बात हट जायेगी। लेकिन इससे एक हानि भी है वह है कि पाकिस्तान में यह बात बहुत तेजी से फैल रही है कि भारत हमलावर है वह अमनपसंद नहीं है।  लेकिन मोदी जी सरकार का कहना है कि हम अमन चाहते हैं, बेशक हम शांतिकामी हैं पर पाकिस्तान को आतंकियों से मुक्त कराना चाहते हैं। अब इससे हुआ कि दोनो तरफ एक बड़ी आबादी अपनी अपनी सेना के समर्थन में खड़ी हो गयी है। इससे भारत में जहां बेवजह की युद्धप्रियता दिख रही है वहीं पाकिस्तान में फौज पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह भारत के खिलाफ कदम उठाये। इस स्थिति से वार्ता के द्वार तो अब बंद हो चुके हैं और बहुत ही खतरनाक स्थिति दिख रही है जिसका उपसंहार आतंकी हमले से लेकर पूर्ण युद्ध के रूप में कुछ भी हो सकता है। 

0 comments: