CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Monday, October 31, 2016

कश्मीर का लगातार भंग होता युद्ध विराम

कश्मीर का लगातार भंग होता  युध विराम

पाकिस्तानी रेंजर्स  ने नवंबर 2003 में युध विराम संधि को भंग कर कश्मीर के  आर  एस पुरा में भारतीय सीमा चौकियों पर हमला किया और सीमा सुरक्षा बाल के एक सिपाही को  आहत कर दिया / बाद में उस सिपाही की मौत हो गयी/ 21अक्तूबर 2016 को सीमा पर गोली बारी में पाकिस्तानी सीमा रक्षकों के कम से कम 7 लोग मारे गये /  बी एस एफ की एक प्रेस विज्ञप्ति  में बताया गया है कि सीमा पर गोलीबारी में पाकिस्तान की तरफ से एक आतंकी भारत में प्रवेश करने में कामयाब हो गया/ यह आतंकियो द्वारा अक्सर ऐसा किया जाता है / बी एस एफ के प्रवक्ता शुभेंदु भारद्वाज ने बताया कि स्नईपर फायर की आड़  में पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों को भारत में प्रवेश कराने की कोशिश करती है/ यही नहीं 19 अक्तूबर की बीती रात कठुआ जिले के हीरा नगर में  भारतीय सेना ने पाकिस्तानियों के हमले को नाकाम कर दिया/ यह भी घुसपैठ की कोशिश थी और हमारी सेना की  फायरिंग में एक आतंकवादी मारा गया और बाकी भागने में सफल रहे/ 16 अक्तूबर की रात को राजौरी के नौशेरा में नियंत्रण रेखा पर भारतीय चौकियों  पर गोलीबारी हुई और एक सैनिक मारा गया/ इसके पूर्वा 29 सितंबर को भारतीय सेना सर्जिकल हमला किया था और इस दौरान पाकिस्तानी  सीमा में घुस कर कई आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया/ अपुष्ट सूत्रों के अनुसार इस हमले में 38 आतंकी और दो पाक सैनिक मारे गये/ यह हमला भारत के बारामूला जिले के उड़ी सेक्टर में आतंकवादियों द्वारा सेना के कैंप पर किए गये हमले के प्रतिशोध स्वरूप था/ इस हमले मेी 19 भारतीय सैनिक मारे गये थे/ 29 सितंबर के सर्जिकल हमले के बाद पाकिस्तानी फ़ौजियों ने नियंत्रण रेखा और आंतररष्ट्रीय सीमा पर युध विराम का 38 बार उलंघन किया/ लगातार गोलीबारी के कारण सीमा से सटे इलाक़ों में से लोगों का भारी संख्या में पलायन हो गया है/ हाल में वहाँ बुलेट प्रूफ वाहनो को लगाया गया है ताकि लोगों सुरक्षा पूर्वक निकाला जा  सके/ जम्मू कश्मीर में आंतररष्ट्रीय सीमा, नियंत्रण रेखा और वास्तविक स्थिति रेखा पर युध विराम का समझौता 25 नवंबर 2003 को लागू हुआ था/ हालाँकि पाकिस्तान इस समझौते पर हस्ताक्षर के लिए कभी नहीं तैयार था पर कयी  क्षेत्रों से भारी दबाव के कारण उसने हस्ताक्षर किए और कुछ दिनो तक जम्मू कश्मीर में आतकी घटनाओं में हाने वाली मौतों की तादाद कम हो गयी/  मुशर्रफ़ के कार्यकाल तक तो सब कुछ ठीक चला पर उसके बाद फिर आतंकी घटनाएँ बढ़ने लगीं / पाकिस्तानी सेना आतंकियों को गोलीबारी के लिहाफ़ नीचे छिपा कर भारत में प्रवेश करने लगी/ सरकारी आँकड़ों के मुताबिक युध विराम की पहली घटना 19 जनवरी 2005 को हुई/ पुंछ इलाक़े में भारी गोलीबारी की/ सरकार का मानना है कि यह फायरिंग आतंकियों को प्रवेश कराने के लिए की गयी थी/ युध विराम के बाद  पाकिस्तानी गोलाबारी में पहली बार 25नवंबर 2007 को एक भारिया सैनिक मारा गया/ इन्स्टिट्यूट आफ कॉनफ्लिक्ट मैनेजमेंट द्वारा तैयार किए गये आँकड़ो के मुताबिक 2005 के बाद 1741 बार युध विराम का उल्लंघन किया है/ केवलीस साल 23अक्तूबर तक उसने 56बार युध विराम का उल्लंघन किया है/ सरकारी रेकार्ड के मुताबिक इस साल जनवरी से जून के बीच 16 बार युध विराम का उल्लंघन हुआ है और आतंकी घटनाओं में 218 लोग मारे गये/ सरकारी आँकड़े बताते हैं की 2012 से 30 सितंबर  2015 तक 300 आतंकवादी भारत में प्रवेश  कर चुके हैं/ 2015 के सितंबर में एक बार फिर दोनो देशों के सीमा रक्षकों के बीच सहमति हुई कि नवंबर 2003 के समझौते को मानेंगे/ आँकड़ो के विश्लेषण से पता चलता है कि जम्मू कश्मीर में मरने वालों की संख्या और नियंत्रण रेखा के उल्लंघन के बीच समानुपातिक संबंध है/ 2016 में कश्मीर में केवल 135 लोग मारे गये जबकि 2015 में इसी अवधि में 137   लोग मारे गये थे /   इन बढ़ती घटनाओं को देखते हे 25 जुलाई 2016 को लाहौर में एक बार फिर बैठक हुई और इसमें तय किया गया कि युध विराम को माना जायगा/ पर कोई लाभ नहीं  हुआ / जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद में तेज़ी से इज़ाफा हुआ/ पंजाब में भी आतंकी घटनाएँ हुईं/  18 सितंबर की घटना के फलस्वरूप भारत ने जो सर्जिकल हमला किया अब दुनिया मे पाकिस्तान उसी का रोना रो रहा है कि भारत ने युध विराम भंग किया है/  हालाँकि पाकिस्तान कुछ अवसरों को छ्चोड़ कर  अधिकृत कश्मीर में भारत के हमले से इनकार करता रहा है, क्योकि इससे उसकी सेना की नाक काटने के अवसर बढ़ जाते हैं / सीमा बढ़ती घटनाओ को देखते हुए लग रहा है कि निकट भविष्य में पाकिस्तान की तरफ से बदले की कार्रवाई होगी/

0 comments: