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Tuesday, October 4, 2016

सर्जिकल स्ट्राइक के सियासी लाभ

सर्जिकल स्ट्राइक का सियासी लाभ

विगत कई हफ्तों से दिल्ली में चर्चा सरगर्म थी कि मोदी सरकार को पाकिस्तान पर एक हमला कर ही देना चाहिये। इससे देश के भीतर का माहौल बदल जायेगा और जनता में सकारात्मक संदेश जायेगा। इससे जो प्रशस्ति प्राप्त होगी उसका उत्तर प्रदेश के चुनाव में इस्तेमाल हो सकता है। अब नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल हमला हुआ और इससे देश में काफी उत्साह दिख रहा है या उसे प्रचारित किया जा रहा है। यहां यह पूछा जा सकता है कि क्या इसका असर यूपी के मतदाताओं पर पड़ेगा ? अब सवाल उठता है कि उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान पर इस हमले को सरकार द्वारा क्यों इतने गर्व से प्रचारित किया जा रहा है और क्यों विपक्ष ने भी इसे पूरी तरह समर्थन किया? क्योंकि सभी दलों को यकीन है कि यह मामला साधारण मतदाताओं के भीतर गूंजेगा। इसीलिये इसका उत्तर प्रदेश के चुनाव पर प्रभाव पड़ेगा। अब सवाल उठता है कि यदि असर पड़ा तो कितना पड़ेगा। लेकिन जो लोग यूपी की सोच प्रक्रिया को समझते हैं वे समझ सकते हैं कि इसका असर पड़ेगा लेकिन थोड़े समय के लिये। बेशक अभी युद्धोन्माद है पर यह उफान कितनी देर तक टिकेगा यह समय बतायेगा। इससे मध्य वर्ग जरूर उत्साहित है पर जो लोग हाशिये पर जैसे दलित और गरीब किसान उन्हें इससे कोई फर्क या ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।  जब चुनाव होंगे तबतक यह उन्माद कितना कायम रहेगा यह तय नहीं है। अलबत्ता अगर अभी तुरत चुनाव होते तो जरूर इसका असर होता और बहुत ज्यादा असर होता। क्योंकि युद्धोन्माद खास कर पाक के खिलाफ युद्ध की कोई खबर एक लहर तो पैदा करती ही है। देश का बहुत बड़ा जन समुदाय इस तरह की कार्रवाई की अम्मीद कर रहा था और यह हुआ तो मुल्क साथ साथ है। लोग न केवल खुश हैं पर उत्साहित भी हैं। लेकिन यह दूध के उबाल की तरह है। एक बार उबला फिर सबकुछ शांत। जनता की याददाश्त कम होती है और चुनाव में वक्त बाकी है। तबतक शायद इसका उत्साह ठंडा पड़ जाय। यही नहीं, अभी इसकी सच्चाई की जांच नहीं हो पायी है और हो सकता है कि यह फकत प्रचार हो। इसमें हकीकत इतनी ज्यादा ना हो जितना बताया जा रहा है। मोदी जी की लोकप्रियता कम हो रही थी। चुनाव के दौरान जो समां उन्होंने बांधा था उसका तिलिस्म अब टूटने लगा था। यह तो बहुत लोग जानते होंगे कि अतीत में भी ऐसे हमले किये गये हैं पर इतना प्रचार नहीं किया गया। जहां तक चुनाव का सवाल है तो उसमें अभी लगभग 6 महीने बाकी हैं तथा यह अवधि किसी के उठने या गिरने के लिये काफी है। इसके साथ उत्तर प्रदेश की सामाजिक बनावट को देखें तो वहां इस हमले से ब्राह्मण, ठाकुर और बनिया वर्ग उत्साहित है मुसलमानों तथा दलितों पर इसका प्रभाव नहीं दिख रहा है। बसपा जो राज्य में भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी है उसका वोट बैंक मुस्लिम तथा दलित हैं और उस वोटबैंक पर इसका असर नहीं के बराबर है। अगर इस स्थिति का सियासी लेखाजोखा करते हैं तो राहुल गांधी फैक्टर का भी आकलन करना होगा। वहां उनके रोड शो से ब्राह्मण वोट खासकर उस जाति खेतिहरों का वर्ग प्रभावित दिख रहा है। यही नहीं अगर चुनाव के पूर्व भारत और पाकिस्तान के बीच समचमुच जंग हो जाती है तो सोचने वाली बात है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की क्या भूमिका होगी?लोग अनुमान लगा रहे हैं कि हो सकता है चुनाव के मद्देनजर ऐसे दो एक हमले जरूर होंगे। पर क्या उसका उत्साह तबतक बना रहेगा? शायद नहीं।  देश भर में भाजपा के नेता खास कर उत्तर प्रदेश में इस सर्जिकल हमले का लाभ उठाने कोशिश में लग गये हैं। उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रमुख केशव प्रसाद मौर्य ने तो एक नारा भी बना लिया है कि ‘56 इंच का सीना है, सर उठा के जीना है।’ कहा जा रहा है कि  भारतीय सेना ने पाकिस्तान की भाषा में ही उसका जवाब दिया है। सबकुछ के उपरांत अभी इस आख्यान का उपसंहार नहीं हुआ है। भारत और शेष दुनिया पाकिस्तान की अगली चाल की प्रतीक्षा कर रही है।

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