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Friday, October 21, 2016

कौन सच है समझ में नहीं आता

कौन सच है समझ में नहीं आता

विदेश सचिव एस जयशंकर के हवाले से अखबारों में सर्जिकल स्ट्राइक की जो खबर आयी है और वह सच है तो सचमुच॑ेश के शीर्ष कूटनीतिज्ञ ने एक नयी मुसीबत खड़ी कर दी है। उन्होंने कहा है कि अबसे पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक हुये हैं। उनकी इस बात से देश के सुरक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का वह बयान कि 29 सितम्बर का सर्जिकल स्ट्राइक अद्वितीय था पहली बार ऐसा किया गया था। यह बयान विदेशी मामलों पर संसद की स्थाई समीति में विदेश सचिव एस जयशंकर द्वारा  दिया गया था। इस दौरान वहां सुरक्षा सचिव, सेना के उप प्रमुख और गृह मंत्रालय में सुरक्षा मामलों के विदेश सचिव भी उपस्थित थे। अखबारों की खबर के मुताबिक , वहां कहा गया कि ‘अबसे पहले भी सीमित क्षमता,टार्गेट स्पेसिफिक आतंक विरोधी’ हमले किये गये हैं। अलबत्ता इसबार सरकार ने इस हमले को नीतीगत तौर पर सार्वजनिक कर दिया। यही नहीं अखबारों में श्री जयशंकर के हवाले से यह भी कहा गया है कि ‘अगर आप पूछते हैं कि पहले भी इस तरह के नपे तुले हमले हुये हैं तो मेरा कहना है कि हां हुये हैं और अगर आप पूछते हैं कि क्या उन हमलों में कामयाबी मिली थी तो मेरा जवाब होगा कि हां मिली थी।’ बस फर्क यह था कि इस बार हमने कुछ कूटनीतिक कारणों से इस कार्रवाई को  उजागर कर दिया। अगर ये बातें सही हैं तो सरकार जो अब तक कहती आयी है उसमें भारी पोल दिखता है। सरकार ने सीना ठोंक कर कहा था कि ऐसा हमला पहली बार हुआ है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी हालांकि इस मामले पर कुछ दिन चुप रहे पर बाद में वे भीजोशो खरोश्ह से यह कहने में जुट गये कि ‘ऐसा हमला पहली बार हुआ है।’ पिछले पखवाड़े अपने कई भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैनिकों को इसके लिये शाबाशी दी है। उन्होंने कई बार जनता से अपील की है कि ‘अगर उन्हें कोइै सैनिक दिखता है तो वे रुकें और सलाम करें।’ गत 18 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश के मंडी में उन्होंने एक सभटा में कहा था कि ‘अबतक दुनिया में इसराइली फौज ही ऐसा करती आयी है पर थ्अब हमारे सैनिकों ने दिखा दिया कि उनमें भी क्षमता है।’ जयशंकर के बयान से पता चलता है कि नेताओं की बाते सच नहीं हैं। इस बयान से कांग्रेस को भी लाभ पहुंचा है। कांग्रेस लगातार कहती आयी है कि यूपीए के जमाने में ऐसे तीन हमले किये गये थे पर सबने उसे मखौल बना दिया। दिलचस्प बात यह है कि पूर्व सेनाध्यक्ष बिक्रम सिंह का भी कहना है कि यह कोई नयी बात नहीं है। लेकिन अभी जयशंकर के बयान पर  विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी नहीं की है। अतएव इस पर सरकार डका रुख अभी अज्ञात है। खबरों को अगर सही माने तो यह भी चर्चा है कि विदेशी मामलों की स्थाई संसदीय समिति ने जब जयशंकर से ताजा सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे तो उन्होंने कहा कि सेना वहां आतंकी शिविरों को नष्ट करने गयी थी सबूत इकठ्ठा करने नहीं। खबरों के मुताबिक , उस बैठक में उपस्थित सेना के उप प्रमुख विपिन रावत ने कहा कि सेना तीव्र और समयबद्ध ऑपरेशन के लिये गयी थी। उसे एकदम विशिष्ट लक्ष्य दिया गया था वह सबूत एकत्र करने नहीं गयी थी। कथित रूप से रावत ने समिति के सामने कहा है कि ‘कुछ सबूत हैं सेना के पास। इससे संकेत मिलता है कि विदेशी मीडया सहित कई हल्कों द्वारा इस हमले पर उठाये जा रहे सवालों को सरकार जानबूझ कर नजरअंदाज कर रही है। ’ इस हमले को लेकर राजनीतिक अभियान तेज हो रहा है। प्रधानमंत्री भी इससे न केवल जुड़ते जा रहे हैं बल्कि दिनोंदिन वे अपने भाषणों में हमले के ताप को बढ़ाते भी जा रहे हैं।  लेकिन दूसरी तरफ यह बहुत तेजी से विवाद का मसला बनाता जा रहा है। सुरक्षा के मामले पर इस तरह तू तू मैं मैं से अविश्वास का माहौल बनता है जो कालक्रम के अनुसार देश और सेना के नैतिक पराक्रम को घटाता है। 

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