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Wednesday, November 2, 2016

मतभेद का लाभ

मतभेद का लाभ

उत्तरप्रदेश में चुनाव होने वाले हैं और सत्तारूढ़ दल में झगड़ा है कि  सुलझने का नाम नहीं ले रहा है/  किसी भी राजनीतिक संगठ की यह खूबी होती है कि अगर नेतृत्व का झगड़ा लम्बे समय तक चला तो खुद बखुद उसमें नेतृत्व और दिशा के लिए जगह बन जाती है/ नौजवान अखिलेश यादव 2012 में सत्ता में आये/ उनका आगमन इसलिए महत्त्वपूर्ण था कि उस समय राज्य में पार्टी की ऐसी छवि बन गयी थी मानो यह एक अकल्पनाशील और तरक्की में नाकामयाब एक बूढ़े के नेतृत्व वाली पार्टी है जिसकी लगाम परोक्ष रूप से गुंडों के हाथ में है/ इस छवि को भंग करने और पार्टी को लोकल पृष्ठपोषकों से मुक्त करना जरूरी था/ बदलते वक्त में परम्परागत वोट बैंक से आगे बढ़ने  के लिए यह सुधार ज़रूरी था/ अब यह ना दिखे कि पार्टी बूढ़े यादवों से नियंत्रित है इसलिए अखिलेश को सामने लाया गया/ उन्होंने कुछ बदलावों की शुरुवात की/ यह पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को पसंद नहीं आयी/ खास कर शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव और खुत मुलायाम सिंह यादव नहीं चाहते थे कि इनके पारंपरिक समर्थकों का आधार भंग हो और व्यावसायिक क्षेतों में जो पैठ है वह घटे/ समाजवादी पार्टी देश की क्षेत्रीय राजनीती में एक विचित्र संगठन है/ यह पार्टी कई गुटों में विभाजित है और सबमें विव्गाद चल रहे हैं/ इस विभाजित पार्टी में सबसे बड़ा गुट उसी परिवार का है जिसने इसे बनाया/ यह पार्टी एक परिवार की पार्टी है तथा टिकेट के बंटवारे, मंत्री पद के लिए नाम पर मुहर लगाने और अपने अपने दरबारियों को सार्वजानिक पद पट स्थापित करने के अधिकार के लिए परिवार में आपाधापी मची हुई है/ हल में जो मतभेद हुए उनके 4   प्रत्यक्ष तथा मुख्या  कारण हैं/  पहला , जब अखिलेश यादव को सी एम बनाया गया था तो यह सोचा गया था कि इनका कोई गुट नहीं होगा पर उन्होंने जल्दी ही परिवार के कुछ लोंगों को मिला कर अपने चों तरफ छोल्दारियाँ कड़ी कर दीं / यही नहीं उन्होंने चुनाव में उपयोग के लिए नौजवानों पूरी फौज बना ली/ ल्र्किन यह जमात स्थानीय सत्ता स्रोत अंग नहीं बन सका/ दूसरा कारण था कि अखिलेश यादव ने ऐसे समर्थकों कि एक बहुत बड़ी संख्या तैयार कर ली जो पहले पार्टी के साथ नहीं थे/ इससे परिवार में श्रम विभाजन को लेकर झगड़ा हो गया/ एक तरफ वो लोग खड़े हो गए जिनका कुनबे या अस्न्गाथान पर कंट्रोल था और एक तरफ अखिलेश जिनका पार्टी के समर्थकों पर  कब्ज़ा था/ सीसरा पहलू है इस मतभेद का कि झगड़ा क्षेत्रीय हो गया ताकि परिवार में एक दुसरे का प्रभाव क्षेत टकराए नहीं/ चौथा कि  पार्टी के चरम दो सतह के बीच भी टकराव शुरू हो गए/ अब इसके कारण पूरा ताना बाना अस्थिर हो गया/ सबसे बड़ा मतभेद तो यह था कि काम के बंटवारे की जो स्थापित परम्परा थी वह पार्टी में तो चल रही थी पर शाशन में अखिलेश ने नहीं चलने दी / अब पार्टी के नेता व्यापारियों का बचाव करते थे और शासन यह समझता था की वे प्रशाशनिक कार्यों में दखल दे रहे हैं और मुख्या मंत्री के काम में रोड़े अटका रहे हैं/ उधर अखिलेश केवल  वोट बटोरू हो कर नहीं रहना चाहते थे/ वे मानते थे कि मुलायम सिंग यादव का वारिस होने के लिए केवल वोट का जुगाड़ कर्मणा ज़रूरी नहीं है बल्कि वोट बैंक से बढ़कर राज्य की जनता की  उमीदों को पूरा करना भी ज़रूरी है/ इस झगडे का एक कारण यह भी है की शिवपाल सिंह यादव ने योग्यता, चुनाव नें टिकट बंटवारे में  ज्यादा अधिकार की मांग  स्थिति और बिगाड़ डी/ अभी जो मतभेद चल रहा है वह कई मामलों में अच्छा भी है/ हो सकता है निकट भविष्य में चुनाव में पराजय या कम सीट से इसकी कीमत चुकानी पड़े पर भविष्य में पार्टी में स्पष्ट नेतृत्व और दिशा के लिए अवसत मिलेगा/यू पी से बहार भी इसका असर पड़ेगा खास कर उन दलों पर जो व्यक्तित्व , जाती और वोट बैंक के आधार पर चल रहे हैं तथा सत्ता परिवर्तन फे सवाल उठ रहे हैं/

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