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Wednesday, November 23, 2016

इंदौर एक्सप्रेस दुर्घटना : एक पुनरावलोकन 

इंदौर एक्सप्रेस दुर्घटना : एक पुनरावलोकन 
रेल सुरक्षा जैसे कुछ विषय हैं जो सियासी कालाबाज़ियों के दायरे में नहीं आती. यानी उसके सहारे नाटकीय राजनीति नहीं की जा  सकती है. रवि वार को पटना इंदौर एक्सप्रेस की दुर्घटना का मामला ही देखें. डेढ सौ से ज़्यादा लोग मारे जा  चुके है और दो सौ से ज़्यादा घायल हैं. ये सब के सब लोग देश के ग़रीब वर्ग के लोग थे. ऐसे लोग इस घटना के बाद भी अपनी यात्रा के लिए  रेलवे पर ही  निर्भर रहेंगे, क्योंकि ये रेलें उन्हे वहाँ तक पहुँचाती हैं जहाँ रोटी मिलती है और गाँव  में छूट गये परिवार को निवाले  मिलते हैं. सरकार को यह मालूम है इसके बावजूद लुभावने भाषणों की फेहरिस्त में रेल सुरक्षा कहीं नहीं दिखती है. पहले भी ऐसा ही था और ईस्व सरकार में भी वेआसा ही है. यह दुर्घटना एक ऐसे वक्त में घाटी है जब प्रधान मंत्री नरेन्द्रा मोदी ने गरीबो  के नाम पर   एक ही झटके में देश की मुद्रा व्यवस्था को बदल दिया. यहाँ सवाल है कि सरकार ने जो संकल्प तथा दृढ़ता नोट बंदी के लिए दिखाई वही लाखों रेल यात्रियो की हिफ़ाज़त के लिए क्यों नहीं दिखा रही है. खास ऐसे समय में जब लाखों साधारण यात्रियों के लिए रेल यात्रा काफ़ी जोखिम भारी हो गयी है. हवाई यात्रा को सुरक्षित और आरामदेह बनाने के लिए विमानन क्षेत्रा को विकसित किया गया, परंतु इन वंचित रेल यात्रियो के लिए कुछ नहीं सोचा गया. जबकि कुछ माह पहले कुछ ट्रेनों में  खाली सीटों की कीमतें लगातार बढ़ाने की तकनीक शुरू की गयी. 21 नवंबर को वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा था कि "भारतीय रेल दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी रेल प्रणाली है इसके बावजूद इसमे आधुनिक सिग्नलिंग और संचार प्रणाली का अभाव है. अधिकांश दुर्घटनाओं का कारण खराब रख रखाव , पुराने पद गये औजार तथा उपस्कर एवं मानवीय ग़लतिया हैं." सरकार जानती है यह बात इसके बावजूद हर साल  हज़ारों लोग मरते हैं. 2012 की सरकारी रपट के मुताबिक उस साल दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या 15000 थी . इसके बाद भी सरकार की प्राथमिकताओं में कला धन है ना कि रेल सुरक्षा. सत्ता के गलियारों में ट्रेन यात्रियों की जान की हिफ़ाज़त की चर्चा क्यों नहीं होती है. इसके लिए केवल मोदी सरकार ही दोषी नहीं है, पहले की सरकारे भी बराबर की दोषी हैं. आजक सरकार के हर कदम को नाटकीय बना कर पेश किया जाता है. यह आज भी होता है और पहले भी होता था. इसका कारण है रेल सुरक्षा में वा नाटकीयता पैदा नहीं हो सकती है जितना काला धन या समान नागरिक क़ानून को लेकर हो सकती है. इंदौर दुर्घटना के बाद मोदी जी ने ट्वीट किया की वी इतने दुखी हक़िन जिसका बयान नहीं कर सकते. उन्होने रेलवे को आधुनिक बनाने का वादा किया है. अब यहाँ मोदी जी से एक सवाल पूछा जेया सकता है कि रेलवे क्यों उनकी प्राथमिकता सूची में इतना नीचे है. लेकिन इसी के साथ यह भी संशय है कि अगर इसमें नाटकीयता नही होगी या यह फोटो खिचवाने लायक नहीं होगी तो शायद ही इसपर काम हो और सरकार अपने आश्वशन को पूरा करे.

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