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Tuesday, March 14, 2017

अब क्या कर सकते हैं मोदी

अब क्या कर सकते हैं मोदी 
आम तौर पाकर हर राजनीतिज्ञ को या हर राजनीतिक पार्टी को जो सत्ता में रहती है उसे मध्यावधि विष्णनता को झेलना पड़ता है । यह एक ऐसा वक्त होता है जब हर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को प्रतीत होता है कि उसकी लोकप्रियता छीज रही है। पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राजनीतिक रिवाजों को तक पर रख दिया। उनके पांच साल के कार्यकाल के तीन साल पूरे हुए हैं और उन्होंने अकेले दम पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड  में पार्टी को इतनी बड़ी विजय दिलायी जो अब ट्रक उसे कभी नहीं मिली थी। इस विजय से उन्हें तिहरा लाभ मिलेगा। प्रधान मंत्री के रूप में, नेता के रूप में और सबसे ज्यादा वोट आकर्षित करने वाले राजनीतिज्ञ के रूप  में वे हमेशा उधृत  किये जायेंगे। अब शोहरत के शिखर पर पहुँच कर मोदी सभी संभावित आयामो में बड़े फैसले कर सकते हैं, चाहे वह शाशन हो या आर्थिक-मौद्रिक नीति या राजनितिक मसला हो अथवा विदेश नीति वे हर क्षेत्र में बड़े कदम उठा सकते हैं। राजनीतिक तौर पर उनका सबसे ज्यादा ध्यान गुजरात पर होगा। यह इनका गृह राज्य है और यहां इस साल दिसंबर में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। उन्होंने गुजरात अभियान शुरू भी कर दिया है। उत्तर प्रदेश में चुनाव के सातवें कारण के बाद वे गुजरात भी गए थे। यह यात्रा उसी मुहीम की इब्तदा थी। क्योंकि वे जानते हैं कि गुजरात में अगर पराजय होती है तो कलंक उन पर लगेगा इस लिए वे कोई कसार नहीं छोड़ेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री का चयन भी वे खुद कर सकते हैं। बहुत संभावना है कि वे किसी ऐसे विधायक को यह पद दें जो उनका भक्त हो।वे बहुत ताक़तवर नेता को मुख्य मंत्री नहीं बना सकते हैं।  फिलखाल जो राज नाथ सिंह या योगी आदित्य नाथ को मुख्य मंत्री बनाये जाने की बात चल रही है वह मोदी जी के स्वभाव को देखते हुए तर्कपूर्ण नहीं लगती है। यही नहीं वे देश के दो शीर्ष संविधानिक पदों के लिए भी नाम तय कर सकते हैं। जुलाई और अगस्त में राष्ट्रपति तथा उप राष्ट्रपत्री के चुनाव होने वाले हैं। इस पद के लिए सबसे बड़ी योग्यता होगी मोदी जी का " भगत" होना। इससे यह तो जाहिर हो गया कि पार्टी के "बुजुर्ग " इस फेहरिस्त से बहार ही रहेंगे।
ये तो सब जानते हैं कि संसद में आक्रामक स्वाभाव वाला नेता  होना चाहिए जो विपक्ष पर टिपण्णी कर के उसे आहात कर दे। हालांकि पंजाब में विजय के बाद से कांग्रेस का मोराल बढ़ा हुआ हैफिर भी वे इसकी फ़िक्र नहीं करेंगे। हो सकता है वे बहुत " निर्दयतापूर्वक" महत्वपूर्ण विधेयकों को पेश करेंगे। मोदी जबसे पी एम हुए थे उनकी मंशा थी कि संसद के भीतर और बाहर नीतिगत सुधार करें। उम्मीद है कि वे कठोर नीतिगत निर्णयों की घोषणा कर सकते हैं, खास कर रीयल स्टेट और बैंकिंग के क्षेत्र में । काले धन पर घातक प्रहार के रूप में प्रॉपर्टी मालिको को ई पासबुक दिया जाने की योजना को भी कार्य रूप दे सकते है।
विदेश नीति के मामले में भी वे बहुत बड़ा कदम उठा सकते हैं और उनका सबसे बड़ा कदम पकिस्तान के मामले में हो सकता है। पकिस्तान से औपचारिक वार्ता शीघ्र ही होने की उम्मीद की जा सकती है। पकिस्तान ने भी सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए कई उपाय कर रहा है, मसलन हाफिज सईद की गिरफ्तारी इत्यादि।बारात और पकिस्तान के सम्बन्ध बहुत जटिल हैं और इसपर अलग से वार्ता की ज़रुरत है तब भी यहाँ यह तो कहा जा सकता है कि वह इसबार दबाव में रहेगा। वे जल्दी अपनी विदेश यात्राएं शुरू कर सकते हैं। वे विभिन्न कारणों से जर्मनी , इसराईल , रूस और चीन की यात्रा पर निकल सकते हैं। उनका कद विदेशों में भी काफी ऊंचा रहेगा और वे बढे हुए आत्म विश्वास के साथ विदेशी नेताओं से बात करेंगे। बड़े विदेशी नेता जानते हैं कि 2019 के चुनाव के बाद मोदी ही पी एम बनेंगे अतएव वे सब इनसे कुछ ऐसा आचरण करेंगे जिससे रिश्ते लंबे समय तक कायम रहे। उनकी सबसे बड़ा  विदेशी  शो तब होगा जब वे डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे। वाशिंगटन में उनका सिर अब तक के सभी प्रधान मंत्रियों से ऊंचा होगा।यह भी हो सकता है कि  मेडिसन स्क्वायर में पहले से ज्यादा रौनक रहे।

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