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Monday, March 20, 2017

योगी के सामने चुनौतियाँ

योगी के सामने चुनौतियाँ 
योगी आदित्य नाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।उत्तर प्रदेश जितना विशाल है वहां की समस्याएं भी उतनी जटिल हैं। आबादी के मामले में यहां की 20 करोड़ की आबादी ब्राज़ील से ज्यादा है और अर्थ व्यवस्था के तौर पर यह क़तर से पीछे है जिसकी आबादी महज 24 लाख है। योगी जी को कई जटिल समस्यायों का मुकाबला करना होगा। उत्तर प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद ( जी डी पी ) कीनिया के समतुल्य है और बाल मृत्यु दर मॉरीटानिया के समतुल्य है। ये दोनों पश्चिम अफ्रिका के बेहद गरीब मुल्क हैं। भा ज पा को यहां 403 में से 312 सीटें मिली हैं। लेकिन यहां विकास के मानक बेहद खराब हैं और इसे सुधारने के लिए सरकार को बहुत कुछ करना होगा। भा ज पा का लोककल्याण संकल्प पत्र - 2017 में जो वायदे किये गए हैं उसके मुक़ाबिल सरकार के सामने 6 प्रमुख समस्याएं हैं। यहां की सबसे बड़ी समस्या है प्रसव के दौरान महिलाओं की  मृत्यु दर और बाल विकास दर। यहां प्रसव के दौरान मारने वाली महिलाओं की तादाद देश में सबसे ज्यादा है और जनम लेने वाले आधे बच्चों का विकास अवरुद्ध है।देश के सबसे बड़ी आबादी वाले इस प्रदेश में स्वास्थ्य पर प्रेअति व्यक्ति खर्च फकत 452 रूपए है जो देश के सामान्य औसत से 70 % काम है। राष्ट्रिय परिवार स्वस्थ सर्वेक्षण 2015-16 के मुताबिक आधे बच्चों को सारे टीके नहीं लगते , प्रसव के दौरान हर एक लाख महिलाओं में से 258 की मृत्यु हो जाती है और 1000 में 64 बच्चे जन्मते ही मरे जाते हैं।राज्य में जितने विशेषज्ञ डाक्टरों की ज़रुरत है 84 प्रतिशत डॉक्टर वहाँ काम हैं और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या ज़रुरत के मात्र 19.9 % है।उत्तर प्रदेश के 46.3 प्रतिशत बच्चों का विकास अवरुद्ध है। 17.9 प्रतिशत बच्चों का वज़न ऊंचाई से कम है। 39.5% बच्चे वजन सामान्य से कम है। पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि हर गाँव में प्राथमिक उप केंद्र खोले जाएंगे।उन उओ केंद्रों में सभी आधुनिक औज़ार और तकनीक रखे जाएंगे। राज्य में 25 मेडिकल कालेज और हर 6 प्रखंडों पर स्पेशलिटी अस्पताल खोले जाएंगे जो एम्स के समतुल्य होंगे। राज्य को पांच वर्षों में कुपोषण मुक्त राज्य बना दिया जायेगा। यह तो आने वाला समय बतायेगा की योगी जी और मोदी जी मिल कर इन वायदों को कितना कामयाब कर पाते हैं।
जहां तक शिक्षा का प्रश्न है प्रान्त में शिक्षा के एकीकृत जिला सूचना प्रणाली के अनुसार 83.1% प्रतिशत बच्चों के नाम प्राइमरी कक्षाओं में लिखे गए हैं , यह देश में सर्वाधिक है लेकिन कक्षाओं में उपस्थिति सबसे कम है। सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या है शिक्षा का लाभ और छठे क्लास से ऊपर नामांकन के घटती संख्या। 2016 में किये गए सर्वेक्षण के अनुसार राज्य के 49.7 प्रतिशत बच्चे अक्षर नहीं पहचान पाते हैं। सर्वे के मुताबिक आधे से ज्यादा बच्चे क्लास में हाज़िर नहीं होते हैं। संकल्प पात्र में " शिक्षा क्षेत्र की गुणवत्ता में विकास " शीर्षक में कहा गया है कि शिक्षा, पुस्तकें, यूनिफॉर्म इत्यादि मुफ्त मुहैय्या कराये जाएंगे और शिक्षक छात्र तथा कक्षा छात्र अनुपात सही ठीक किया जाएगा। यही नहीं कालेजों में छात्रों को लैपटॉप दिए जाएंगे और मुफ्त इन्टरनेट दिया जाएगा।
शिक्षा के प्रतिफल में कमी के कारण राज्य में बेरोजगारी बढ़ रही है2015 -16 के आंकड़े बताते हैं कि प्रति 1000 में 58 नौजवान बेरोजगार थे जबकि राष्ट्रीय औसत 37 है। 18 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में तो बेरोजगारी सबसे ज्यादा है। इस आयु वर्ग में राज्य में प्रति 1000 में 148 बेकार हैं। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय औसत 102 है। 2001 से 2011 के बीच 20 से 29 साल की आयु के 58 लाख नौजवान रोजगार की तलाश में राज्य से बाहर  गए पर डिग्री के अनुरूप योग्यता में कमी के कारण अनौपचारिक क्षेत्र में छोटी मोटी नौकरी पर गुजारा करने लगे। चुनाव के दौरान वोटरों ने रोजगार को सबसे बड़ी समस्या बताया था। चुनाव घोषणा पत्र में भा  ज पा ने  70 लाख रोजगार या  काम के अवसर प्रदान किया जाएगा। पार्टी ने स्टार्ट अप पूँजी के तौर पर 1000 करोड़ रूपए का कोष बनाने का वादा किया था। कोढ़ में खाज की मानिंद बेरोजगारी को और दर्दनाक बना दिया है आद्योगिक विकास की धीमी गति ने। यहां आद्यौगिक विकास की दर देश में सबसे धीमी है। नीति आयोग के मुताबिक 2013-14 और 2014-15 में औद्योगिक विकास की दर क्रमशः 1.95% और 1.93% थी। यह दर देश में सबसे नीचे के पांच राज्यों में से एक है। यही नहीं राज्य में जो उद्योग पारंपरिक रूप से आगे थे वे भी संकट में हैं। मसलन कानपूर का चमड़ा उद्योग बेहद कठिनाई के दौर से गुजर रहा  है। एक आंकड़े के मुताबिक यहां विगत दस वर्षों में 400 में से 140 टेनेरीज बंद हो गईं। पूँजी निवेश के मामले में देश के 21 राज्यों में उत्तर प्रदेश का स्थान 20 वां है। यही हाल श्रम, इन्फ्रास्ट्रक्चर, आर्थिक परिवेश, राजनीतिक स्थायित्व और शासन के मामले में है। नेशनल कौंसिल ऑफ़ अप्लायड इकनोमिक रिसर्च के मुताबिक यहां बिजली का अभाव और प्रशिक्षित लोगों की कमी मुख्य कारण है। चुनाव घोषणा पत्र में भा ज पा ने वादा किया है कि वह विनिवेश बोर्ड का गठन कर राज्य में निवेश की धारा में तितरफा विकास करेगी।उद्योगों के लिए मुख्य मंत्री की देख रेख एक विभाग का गधं करेगी जहां एक ही जगह। उद्योग बैठाने की साड़ी औपचारिकता पूरी हो जायेगी। घोषणा पत्र में यह भी वादा किया गया है कि राज्य में 6 आई टी पार्क बनाएंगे, एक औषधि निर्माण पार्क बनाएंगे और एक ड्राई पोर्ट बनाएंगे ताकि राज्य से निर्यात का विकास हो। ये तो वायदे हैं , अगर इन्हें पूरा कर लिया गया तो उत्तर प्रदेश सचमुच उत्तम प्रदेश हो जाएगा।
हमारा देश कृषि प्रधान देश है और 2012-13 तक उत्तर प्रदेश में करीब 1 करोड़ 85 लाख परिवार खेती पर निर्भर थे।यह देश में कृषि पर निर्भर कुल परिवारों के 20 प्रतिशत के बराबर है। यू पी में तो हर चौथा परिवार खेती पर निर्भर है। अतएव देश के सर्वाधिक उर्वर क्षेत्र में कृषि विकास मुख्य एजेंडा हो जाता है। 2004-05  से 12-13 तक यू पी का समग्र वार्षिक विकास दर देश में सबसे कम रहा। यह देश के 3.7 प्रतिशत औसत विकास दर 2.9 था। 2004-05 के स्थाई मूल्य के आधार पर यू पी का विकास दर उत्तर खंड से भी धीमा था। सन 2000 में यू पी से काट कर अलग बने उत्तराखंड से भी इसका कृषि विकास धीमा था। 2014-15 में स्थायी मूल्य के आधार पर जहां कृषि विकास की दर उत्तराखंड में 5.12% थी जबकि यू पी में यह केवल 4.25 रही। 15 मार्च 2017 की एक रपट के मुताबिक यू पी में किसानों पर बकाया कर्ज 75000 करोड़ था महज 8000 करोड़ रूपए यानि 10 प्रतिशत से थोड़ी ज्यादा रकम राज्य सहकारिता बैंकों या प्राइमरी कृषि क्रेडिट सोसाइटीज द्वारा दिया गया कर्ज है, जिए सर्कार माफ़ कर सकती है। बाकी रकम सरकारी बैंकों की है और यह छोटे किसानों पर ही नहीं लगभग सभी किसानों पर है। जबकि पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में  वादा किया है कि यह सभी प्रकार के कृषि       कर्ज माफ कर देगी और नए कर्ज व्याज मुक्त होंगे। सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की योजना बनायेगी। यही नहीं 14 दिनों में भुगतान करने का वादा भी किया गया है साथ ही पुराने बकायों को सरकार गठन के 120 दिनों के भीतर भुगतान करवाने का वादा किया है। राज्य के आधे घरों में बिजली नहीं है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 51.85% प्रतिशत घरों में बिजली नहीं है साथ ही अफसर शाही में  भ्रष्टाचार के कारण विकास की गति अत्यन्त धीमी है। पार्टी ने वादा किया था कि अगर उनकी सर्कार बनती है तो 24 घंटे बिजली रहेगी और गरीबों को जहां मुफ्त कनेक्शन दिए जाएंगे वहीँ हर महीने 100 यूनिट बिजली 3 रूपए प्रति यूनिट की रियायती दर से दी जायेगी। वायदों और हकीकत में बड़ा अंतर है। सरकार बदली है , सियासी फिजा बदल गयी है, काले बादलों के पर से सुनहरी किरण यू पी जमीन पर पड़ रही है और सब्ज़ बाग़ लहरा रहे हैं, देखना है कि सपनो के उस पार की हकीकत कैसी है?

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