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Thursday, March 30, 2017

आना योगी का

आना योगी का 
आज उत्तर प्रदेश में योगी का आना भारत के राजनीती के पंडितों के मुबाहिसे का सब बड़ा विषय है , लेकिन यह तो तय है की अगले दो वर्षों में योगी जी जो करेंगे उसी पर 209 के लोकसभा चुनाव में मोदी जी की किस्मत का फैसला होगा। अब सवाल है कली वे कुछ कर पाएंगे या नहीं?  अखबारों की खबर या उत्तर प्रदेश में बुद्धिजीवियों के बीच चल रही चर्चाओं में जो बात आ रही है उनसे साफ़ ज़ाहिर है कि देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य में शीर्ष पद पर वह गेरुआ धारी महंत चुप चाप नहीं बैठा है। जब योगी का इस पद के लिए चयन हुआ तो  तो उसपर बहुत मीन - मेख हुई। यहां तक कि भा ज पा के कई नेताओं ने भी नाक भौं सिकोड़ी। लेकिन शपथ ग्रहण के महज 10 दिनों के भीतर योगी जी ने यह बता दिया कि उनकले आलोचक गलत थे।वे जिस तरह काम कर रहे हैं वह अपने आप में एक आश्चर्य है। अब तक तो लोग सोचते थे कि योगी कट्टर हिंदुत्व के प्रतीक हैं , मुस्लिम विरोधी हैं और उनके दमन की बात करते हैं। लेकिन जब उन्होंने सबको साथ लेकर चलने की घोषणा की तो लोग अवाक रह गए। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि किसी से भेद भाव नहीं किया जाएगा लेकिन तुष्टिकरण भी नहीं किया जायेगा।उन्होंपने यह भी घोषणा की कि " याद रखें , क़ानून से ऊपर नहीं है धर्म।" उन्होंने हिन्दू वाहिनी , जिसे उनकी निजी सेना कहा जाता है , को स्पष्ट चेतावनी दी कि " अपनी उत्तेजना को अपनी बुद्धि पर हावी न होने दें और अपने पर नियंत्रण रखें। अभी तो सब ठीक है पर आगे दो वर्ष कैसे चलेगा इसपर मोदी जी का भविष्य कायम है।उनके चुनाव क्षेत्र गोरखपुर के गोरख नाथ मंदिर के चदुर्तिक कारोबार क्लरने वाले या आसपास रहने वाले मुसलमानों ने बताया कि" कभी उन्होंने यानि योगी जी ने उन्हें परेशान  नहीं किया उलटे हम जब भी अपनी कोई समस्या लेकर उनके पास गए तो उन्होंने उसे हल करने की कोशिश की।"  आज भी गोरख नाथ मठ के आसपास बहुत मुस्लिम रहते हैं और काम काज करते हैं। पता नहीं गोरख नाथ मंदिर कबसे कट्टर हिंदुत्व प्रतिक बन गया लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश में आज भी मुसलमान योगी पाए जाते हैं जो नाथ पंथोयों की भांति गेरुआ पहनते हैं और सारंगी बजा कर गोपी चाँद और राजा भर्तहरि के बाबा गोरख नाथ के प्रभाव में आकर कैसे योगी बन गए यह गीत गाते घुमते हैं। लोग उन अनाज वगैरह देते हैं। वे बड़े चाव से बाबा गोरख नाथ की महिमा का वर्णन करते हैं। पूर्वी यू पी में योगियों केर दर्जनों गाँव हैं।
आज योगी आदित्य नाथ देश के दूसरे सबसे ताकतवर पद पर हैं । उन्होंने आगे बढ़ने के लिए आक्रामक हिंदुत्व का रास्ता चुना और अब जब वे एक मुकाम पर पहुँच गए तो एक दूसरे फ्रेम में दिखने लगे। अब उन्होंने सबको शामिल करने के  नाम पर एक नै पारी शुरू की है । जहां भा ज पा ने विधान सभा चुनाव में एक मुस्लिम उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था वहीँ योगी जी ने मंत्रिमंडल में एक मुस्लिम मंत्री शामिल किया है। योगी ने अपने चंद  दिनों  के शासन काल में यह आश्वासन देने का प्रयास किया है कि वे सुशासन प्रदान करना चाहते हैं। सरकारी कार्यालयों, पार्कों, थानों इत्यादि में उनकी औचक यात्राएं यह साफ़ बताती हैं यह गेरुआधारी सी एम कुछ करना चाहता है। योगी के पिछले दिनों को अगर देखें तो एक बड़ी खूबी दिखती है कि वे भाजपा नेतृत्व को भी नहीं छोड़ते थे। कई बार उनके बयानों से पार्टी ने खुद को अलग कर लिया है। अभी पिछले चुनाव में ही कैराना से हिंदुओं के पलायन की बात उठाते हुए उन्होंने कहा था कि हम " यू पी को कश्मीर नहीं बनाने देंगे' हिन्दू अब भागे नहीं।" दरअसल उन्होंने ने पी एम् को यह संकेत दिया कि शासन कब्रिस्तान के लिए पैसा देता है तो श्मशान के लिए क्यों नहीं?  इसके पहले "लव जिहाद या घरवापसी"  पर तो उन्होंने ऐसी ऐसी टिप्पणियां की थी जिसे यहाँ लिखना संभव नहीं है। योगी ने सी एम बनाने के बाद यह भी कहा है कि अफसर 18 घंटे काम करें और 15 दिनों में अपनी संपत्ति का ब्यौरा दें और जो ऐसा करना पसंद नहीं करते वे अपने लिए दूसरी जगह खोज लें। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी कार्रवाई आज यू पी में चर्चा का विषय है। किसानों का कर्ज नहीं माफ़ करने से मोदी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं  लेकिन 29000 करोड़ का कर्ज कैसे माफ़ कर सकेगा केंद्र यह भी खुद में एक प्रश्न है और योगी के लिए एक चुनौती भी है। इसासे भी ज्यादा सबकी निगाह राम मंदिर पर टिकी है। इस मामले में उनका  बड़बोलापन नहीं सुना जा रहा है। लेकिन योगी के काम काज को देख कर यह समझा जा सकता है कि वे आलोचकों की बोलती बंद करने में लगे  हैं।

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