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Monday, March 6, 2017

आई एस को हथियार बनाने के कई सामान कोलकाता से सप्लाई होते हैं

आई एस को हथियार बनाने के कई सामान कोलकाता से सप्लाई होते हैं

 

सीरिया के विभाजन की आशंका, दक्षिण एशिया पर भी खतरा बढ़ा

 

हरिराम पाण्डेय

कोलकाता : विस्फोटक सामग्री बनाने के लिये इस्लामिक स्टेट को साजो सामान मुहय्या कराने का सबसे बड़ा सेंटर हमारा ‘सिटी ऑफ जॉय’ है। देश की 6 कम्पनियां उसे साजो सामान सप्लाई करतीं हैं जिनमें चार कोलकाता से जुड़ी हैं हालांकि इनके मुख्यालय अन्य राज्यों में हैं। व्यापारिक सामानों में गिने जाने इन सामानों के निर्यात पर ज्यादा जांच पड़ताल नहीं होती। सन्मार्ग ने अपनी लम्बी जांच के बाद आई इस को आई ई डी के कम्पोनेंट्स सप्लाई की जाने वाली श्रृंखला की तलाश की और यह पता लगाया कि केसे ये वस्तुएं उस तक पहुंचतीं हैं। प्रमाणिक आंकड़ों और युद्ध विशेषज्ञों की रपटों से पता चलता है कि आई एस अपने युद्ध क्षेत्र में देसी विस्फोटकों (आई ई डी) का बड़े पैमाने पर  उत्पादन करता है तथा उसका उपयोग करता है। आई ई डी में लगने वाले सामान व्यापारिक सामान हैं और असके निर्यात के लिये ज्यादा जांच पड़ताल नहीं होती। इसमें जिन सामानों का उपयोग होता है वे केमिकल प्रीकर्सर, डिटोनेटिंग कॉर्ड, डिटोनेटर्स, केबल तार और अन्य इलेक्ट्रानिक सामान। आई ई डी बनाने में आई एस लगभग 700 वस्तुओं का उपयोग करता है। भारत के अलावा लगभग 19 देशों की 51 कम्पनियां उनहें किसी ना किसी रास्ते से ये वस्तुएं सप्लाई करतीं हैं। जहां तक पता चला है कि भारत की कम्पनियां डेटोनेटर्स, डेटोनोटिंग कॉर्ड ओर सेफ्टी फ्यूज बनाती हैं और इनके निर्यात के लिये लाइसेंस लेना होता है। भारत से ये सामान कानूनी तौर पर लेबनान ओर तुर्की भेजे जाते हैं। यहां ये खुले बाजार में बिकते हैं ओर आई इस के हाथों में आराम से पहुंच जाते हैं। भारत में डेटोनेटिंग कार्ड का उपयोग खानों में होता है। इस में सबसे चौंका देने वाला तथ्य है निर्यात की मात्रा। यह सुनकर हैरत होती है कि कोलकाता की इक कम्पनी ने सीरिया की मेकेनिकल कंस्ट्रक्शन को 2009 और 2010 में 60 लाख मीटर डेटोनेटिंग कॉर्ड का निर्यात किया था। आई ई डी , देसी रॉकेट ओर रॉकेट की सहायता से चलने वाले मोर्टार बनाने में आई एस इलेक्ट्रीक और नन इलेक्ट्रीक डेटोनेटर्स का इस्तेमाल करता है। यह मालूम नहीं हो सका कि इसके भारतीय सप्लायरों को यह मालूम है कि नहीं कि ये सामान आई एस तक पहुंच रहे हैं।

खुफिया एजेंसियों और पश्चिमी कूटनीतिक सर्किल में चर्चा गरम है कि सीरिया का विभाजन होने वाला है। इधर सऊदी अरब के सहयोग से आई एस इराक और सीरिया के सांस्कृतिक और पुरातात्विक सम्पदा को नेस्तनाबूद करने में जुटा है। प्रसंग से अलग एक दिलचस्प बात यह है कि स्थानीय भाषा में इराक को कुरू ओर सीरिया को सूर्य कहते हैं। सऊदी अरब और असके सभी वहाबी सहयोगी तथा कुछ पश्चिमी देश आई एस की मदद कर रहे हैं ,जिसका खुलास भविष्य में किया जायेगा। इस दुरभिसंधि से आने वाले दिनों में विश्व सभ्यता को भारी खतरा है। मध्य पूर्व से यह संगठन धीरे धीरे दक्षिण एशिया में भी फेलने लगा हे। भारत , चीन , पाकिस्तान , अफगानिस्तान और बंगलादेश में इसकी मौजूदगी के संकेत मिलने लगे हैं।    

  

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