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Tuesday, April 11, 2017

भारत को भड़काने में लगा है पाक

भारत को भड़काने में लगा है पाक 
पाकिस्तानी विदेश विभाग ने संसदीय उपचुनाव को एक ढकोसला कहा है और कश्मीरमें आत्म निर्णय का मसला उठाया है। जिसने रविवार को श्रीनगर  उपचुनाव के दौरान 8 लोगों को मारे जाने को " बर्बर हत्या"  कहा है और उसकी निंदा की है। हालांकि सब जानते हैं कि श्रीनगर की वह घटना महज हालात की भूल थी और पाकिस्तान उन हालात को कसधमिर में गड़बड़ी पैदा करने और भारत को उकसाने के लिए  इस्तेमाल कर रहा है।यही नहीं भारतीय नौसेना के अफसर को पकड़ कर और आनन फानन में उसे " रॉ" का जासूस घोषित कर फांसी की सजा सुनाने भी इसी उकसावे का एक अंग है। क्योंकि जंग के हालात में  या जंग के दौरान पकड़े गए जासूसों को छोड़ कर सामान्य स्थिति में किसी जासूस को पकड़े जाने पर सभ्य दुनिया में फांसी देने का रिवाज नहीं है। जहां तक श्रीनगर के उप चुनाव की घटना है तो वहां हुर्रियत ने मतदान के वहिष्कार की घोषणा कर रखी थी तब भी वहां 7.14 प्रतिशत मतदान हुए। श्रीनगर , बडगाम और गंदरबल जिलों में हिंसक घटनाएं हुईं और मतदान केंद्रों पर पथराव हुए , पेट्रोल बम फेंके  गए। इन घटनाओं में 8 लोग मारे गए। पाकिस्तानी विदेश विभाग द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि " सरताज अजीज 8 लोगों को मारे जाने की घटना की तीव्र निंदा करते हैं । उन्होंने कहा कि अत्यंत कम मतदान हुर्रियत  के नेतृत्व का स्पष्ट संकेत है और यह भी स्पष्ट करता है कि जम्मू कश्मीर की जनता ने इस फर्जी चुनाव को खारिज कर दिया है। यह कितनी विचित्र  बात है कि जिस देश में लोकतंत्र का भट्ठा बैठ रहा हो , संविधान का सम्मान ना हो रहा हो वह देश भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर टिप्पणी कर रहा है। पाकिस्तान में विगत वर्षोँब में तीन बार तख्ता पलट हुआ और लोकतंत्र का रास्ता अख्तियार करने में लगातार नाकामयाब रहा है और वह भारत पर और उसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर टिप्पणी करता है। पाकिस्तान का संविधान 1956 में लिखा गया और 1958 में सैनिक तख्ता पलट कर अयूब खान ने सत्ता संभाली और संविधान को निरस्त कर दिया। पुनः 1962 में संविधान फिर से लिखा गया और मंज़ूर किया गया। इसमें राष्ट्रपति को सर्वोच्च अधिकार दिए गए। इस संविधान ने प्रधानमंत्री के अधिकार खत्म कर दिए गए और सेना को शासन में दखलंदाजी का अधिकार दे दिया गया।यह संविधान भी 1959 में निलंबित कर दिया गया और 1972 में रद्द कर दिया गया। 1973 में फिर संविधान लिखा गया और 1977 में उसे पुनः निलंबित कर दिया गया। कुछ संशोधन के बाद फिर उसे लागू किया गया। 2004 में राष्ट्रपति के कई अधिकार खत्म कर दिए गए। 2010 में राष्ट्रपति के बाकी अधिकार भी मंसूख कर दिए गए लेकिन सेना के अधिकार काम नहीं किये गए। आज भी वहां सेना की ही बात चलती है। वहां की कुख्यात खुफिया एजेंसी आई एस आई सेना की ही इकाई है जिसने भारत के साथ छद्म युद्ध जारी किया हुआ है। पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद ने कई बार कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया को बाधित करना चाहा । ऐसे में पाकिस्तान के वसिदेश विभाग का ताज़ा बयान भारत के अंदरूनी मामलों में दस्तंदाजी के अलावा और कुछ नहीं है। कम मतदान के उसके आरोप निराधार हैं। यह पिछले कुछ महिनू में वहां कर्फ्यू बवग़ैरह के कुछ दर और कुछ उस दौरान घायल लोगों से एकजुटता का परिणाम भी हो सकता है। यहां यह बता देना ज़रूरी है कि 2014 के विधान सभा और लोकसभा चुनावों में वहां सर्वाधिक मतदान हुए थे जिसमें 25 वर्षों का रिकार्ड टूट गया था। इस चुनाव को ओपरिस्थिति जन्य भूल कहा जा सकता है जिसे पाकिस्तान खामख्वाह तूल दे रहा है। उसकी नीयत  भड़काने वाली है। 
दूसरी तरफ एक भारतीय कुलभूषण जाधव को जासूसी के आरोप गिरफ्तार कर उसे फांसी की सजा देने का क्या औचित्य है भी नहीं समझ  में आता। उसे यह सज़ा पाकिस्तान  के सैन्य अदालत के फैसले पर दी जा रही है। जाधव को सामान्य अदालत में नहीं ले जाया गया।यह भी सहायक है कि भारत को बदनाम करने के लिए ईरान से पकड़ कर लाया गया है। यही नहीं जिसदिन जाधव को पकड़ा गया उसी दिन पाकिस्तान में गरमान्य के दूत गुंटर मुल्क ने कहा कि " उसे तालिबानों ने पकड़ा था और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को बेच दिया।"  कुल मिला कर यह लगतानहीं है कि जाधव जासूसी कर रहे थे। उसनेव केवल भारत को उकसाने के लिए उन्हें फांसी दे रहा है। यहीं तक बात हो तो गनीमत है। पिछले हफ्ते एक रिटायर्ड पाकिस्तानी करनाल काठमांडू में लापता हो गया और पाकिस्तान उसके अपहरण का आरोप भारत पर लगा रहा है। कुल मिलसा कर यह भड़काने की साजिश है सौर भारत को ना केवल सतर्क रहना चाहिए बल्कि ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए।

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