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Tuesday, December 12, 2017

समाज में अपराध की स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है

समाज में अपराध की स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है

समाज में बढ़ती  गतिविधियों का सम्बंध समाज की सोच तथा उससे जुड़ी व्यवस्था से भी होती है। अभी कुछ दिनों से हमारे समाज में नया परिवतमंन देखने को मिल रहा है। वह है घृणित अपराधों के विडीयो क्लिप्स का वायरल होना। सोशल मीडिया पर अच्चनक घृणित अपराधों के विडीयो क्लिप्स दिखायी पड़ने लगते हैं और लोग उन्हें खुल्लम खुल्ला देखते भी हैं। अभी हाल में राजस्थान में एक  मजदूर की हत्या और उसके विडीयो का सोशल मीडिया पर जारी होना और इसी के तरह अन्य अपराधों का भी वीडियो वायरल होना , जिसमें रेप का भी वीडियो शामिल है बतता है कि हमार देश में व्यवसथा का पतन हो चुका है ओर दूसरे सामाजिक मानस में हिंसा की स्वीकार्यता बढ़ रही है। इससे यह जाहिर हो रहा है कि हमारे समाज में अपराध का सामान्यीकरण हो रहा है। हम इसे मध्ययुग के भीड़ के न्याय को समर्थन देती मानसिकता की ओर समाज का बढ़ना भी कह सकते हैं। गौ रक्षा के नाम पर पीट-पीट कर हत्या कर दिये जाने का वीडियो अभी चल ही रहा था कि इक रेप का वीडियो आ गया इसके बाद ताबड़तोड़ लव जिहाद के नाम पर वीभत्स ढंग से मारे का वीडियो आ गया।  ये वीडियो जहां एक तरफ समाज में अपराध के सामान्यीकरण की कथा कहते हैं वही  इन मामलों के समर्थकों की जमात में गौरव का भाव पैदा करता है। बेरोजगार नौजवानों से भरे इस देश में इसके गिरोह बन जाने का भी खतरा है। यहां एक खास किसम का मानसिक परिवर्तत होता दिख रहा है और यह परिवर्तन सामूहिक है।  इसमें अपराध की प्रवृति को और इसे सार्वजनिक करने की सियासत को नजरअंदाज भी कर दें तों नफरत फैलाने वालों के हाथ में ये वीडियो एक तरह से समाज को आतंकित कर अपने सिद्धांतो को मानने पर मजबूर करने का एक उपाय भी है। हम एक ऐसे वक्त में रह रहे हैं जहां तकनीक हमारे उपर नियंत्रण करने लगी है , हमारी गतिविधियों को नियंत्रित करने लगी है। इस आतंक का चुटकी बजाते समाधान नहीं हो सकता है। हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिये कि आखिर हम अपराधी द्वारा ही प्रस्तुत  अपराध के इस घृणित विवरण को क्यों देखते हैं और इस के दौरान कानून की कोई परवाह नहीं करते र्है। मनोविज्ञाान के अनुसार वीडियो का वायरल होना इस तथ्य को दर्शाता है कि वीडियो भेजने और देखने वालों में मानसिक सम्बंध बढ़ता जा रहा है और यह बढ़ना जारी रहेगा। संचार के अंतर्समूह प्रसार की तरह यह एक समूह से दूसरे समूह को जोड़ता हुआ व्यापक समाज का निर्माण कर देता है। यह समाज अपने आचार विचार और सिद्धांतों में वैसा ही होता है जैसे सिद्धातों पर एक हुआ है। जरा सोचिये, नारी द्वेष और सामाजिक नफरत के कुकर्मों के वीडियो के माध्यम से जुड़े और नियंत्रित समाज की गतिविधियां क्या होंगी। अबसे दो साल पहले राजनीतिक लाभ के लिये समाज की सोच को प्रबावित ण्करने के इरादे सोश मीडया का उपयोग अब धीरे धीरे समाज में नफरत फैदा करने और अपराध की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिये उपयोग में लाया जाने लगा है। यह एक तरह से भावुक संक्रमण है और यह संक्रमण भी उसी तरह फैलता है जिसतरह बीमारियां फैलती हैं। यह मनोवैज्ञानिक संक्रमण है और सामाजिक प्रभाव की प्रकिया पर भी असर डालता है। इन दिनों हालत यह होती जा रही है कि सोशल मीडिया के प्लेटफार्म से भेजी गयी सामग्री समाज पर सबग्से असर डाल रहीं है फेक न्यूज इत्यादि  तो उसके आगे कुछ नहीं है। खबरों को अगर मानें तो देश में राष्ट्रभक्त समूह के नाम पर आपसी नफरत फैलाने वालों के समूह बढते जा रहे हैं ओर वे सोशल मीडिया के उपयोग से समाज में नफरत फैलाने के काम में लगे हैं। हालांकि यह संख्या अभी बहुत कम है तब भी सरकार तथा कानून लागू करने वाली एजेंसियों को सतर्क रहना होगा। देश और समाज की रक्षा करनी है तो आम जन को भी इसका शिकार होने से बचना होगा।                                                                                                                                                           

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